पंजाबी लोक गायक परमजीत सिंह सिद्धू पंमी बाई का नया सिंगल ट्रैक हीर सलेटि कल 10 अक्तूबर को प्रात:काल 10 बजे विश्व स्तर पर रिलीज हो रहा है। इस स बन्धित आज चण्डीगढ़ प्रैस क्लब में हीर सलेटि का संगीत रिलीज किया। प्रैस कांर्फै्रस दौरान इसको ख़ुद गायक पंमी बाई, विश्व पंजाबी संस्था के साथ जुड़े सुरजीत सिंह आबोधाबी, पंजाब के राज्य सूचना कमिशनर स. निधड़क सिंह बराड़, फि़ल्म कलाकार जशनजीत गोशा, वीडियो डायरैक्टर परवीन कुमार, मक्खन सिंह पुरेवाल, मक्खन सिंह यू.के. और प्रो. राजपाल सिंह ने रिलीज किया।इस मौके पत्रकारों को संबोधन करते गायक पंमी बाई ने बताया कि युजि़क हाऊस लाइव फोक स्टूडियो की तरफ से इस साल के अंदर रिलीज किया जा रहा यह चौथा गीत है। इस से पहले तीन ओैर गीत रिलीज हुए जिन में से दो ख़ुद उन के थे। यह बोलीया और किसानी थे। विश्व पंजाबी संस्था के संस्थापक प्रधान विकरमजीत सिंह साहनी, राजू चड्ढा और सुरजीत सिंह आबोधाबी के सहयोग से अमीर पंजाबी लोक संगीत, लोक गाथाएं और किस्सा काव्य को बढ़ावा करने के उद्देश्य से हीर सलेटि रिलीज किया गया है। इस गीत को संगीत मनी सौंध ने दिया है और सह गायिका के तौर पर कुदरत सिंह ने साथ दिया है। परवीन कुमार की तरफ से इस की वीडियो तैयार की गई है और इस वीडियो में समैरा संधू ने अभिनय के जौहर दिखाऐ हैं। समैरा संधू दक्षिण की दो फिल्मों में भी अपनी अभिनय का प्रदर्शन कर चुकी है।
पंमी बाई ने कहा कि उस का पिछले 25 सालों से अधिक समय का गायकी का सफऱ पंजाबी सयाचार, मातृभाषा और रिवायती लोक संगीत को समर्पित रहा है। हीर सलेटि प्रोजैकट को पूर्ण करने के लिए उसे ओर भी सकून मिला है क्योंकि इस के साथ पंजाबी साहित्य का अटूट अंग रहे किस्सा काव्य को पेश करने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को लच्चरता से दूर रखने का सब से बढिय़ा साधन लोक संगीत ही है जिस के द्वारा उनको इस तरफ़ लगा सकते हैं। उन्होंने विश्व पंजाबी संस्था का भी धन्यवाद किया जिन वजह से उनको ऐसे प्रोजैकट करने का मौका मिला है।विश्व पंजाबी संस्था के सुरजीत सिंह आबोधाबी ने कहा कि उनकी संस्था की तरफ से रिवायती किस्सों को आधुनिक संगीत में रिकार्ड करने का प्रोजैकट बनाया गया है जिसके लिए पंमी बाई से बढिय़ा गायक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पंमी बाई ने हमेशा ही पंजाब के अमीर स याचार रंगों को अपनी गायकी में पेश किया है। इस नये प्रोजैक्ट संबंधी बोलते उन्होंने कहा कि यह रिवायती किस्सा काव्य आधुनिक संगीत में रिकार्ड किया गया है जो कि रिवायत और आधुनिकता का बहुत बढिय़ा सुमेल हुआ है।प्रो. राजपाल सिंह ने पंमी बाई के जीवन सफऱ बारे रौशनी डालते बताया कि संगरूर जिले के गाँव जखेपल में स्वतंत्रता सेनानी स. प्रताप सिंह बाग़ी के घर पैदा हुए पंमी बाई ने लो नाच भंगड़े से शुरुआत की। पंमी बाई ने जहाँ भंगड़े को विश्व प्रसिद्ध बनाया वहां लीक से हटते गायकी में भंगड़ो का रंग पेश किया। पिछले 25 सालों से सफल लो गायक के तौर पर विचरते पंमी बाई ने लोक नाचों पर बेमिसाल काम किया है। पंमी बाई ने शोहरत और पैसे ख़ातिर कभी भी असूलों के साथ समझौता नहीं किया और हमेशा ही पंजाबी स याचार, मातृभाषा, लोक संगीत की प्रफुल्लता के लिए संजीदा योगदान पाया है।