पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि विभाग को मानसा, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का नाम के चार जिलों के प्रत्येक गांव में सफ़ेद मक्खी के साथ नुकसानी गई नरमे की फ़सल के प्लाट अपनाने के लिए कहा है। इन जिलों में नरमे की सबसे अधिक फ़सल होती है।मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षीय नीचे हुई एक उच्च स्तरीय मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने किसानों को संगठित कीट प्रबंधन (आई.पी.एम) संबंधी जागरूक करने के लिए नुमाइश लगाने के लिए इन प्लाटों का प्रयोग करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने इस बैठक के दौरान सफ़ेद मक्खी कारण पैदा हुई स्थिति का जायज़ा लिया।मुख्यमंत्री ने कीडे -मकौड़ों खासकर सफ़ेद मक्खी से कपास को बचाने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्यौगिकी संबंधी कपास उतपादकों को जागरूक करने के लिए इन नुमाइशों का प्रयोग करने के निर्देश दिए हैं।प्रवक्ता अनुसार इस तरह के कुल 1000 नुमाइश फार्म कृषि विभाग द्वारा अपनाये जाएंगे। कृषि विकास अधिकारियों और कृषि अधिकारियों के साथ विचार अदान-प्रदान द्वारा फील्ड स्टाफ और स्काउट सिफ़ारिश किये कीटनाशकों और नदीन नाशकों का प्रयोग के लिए प्राथमिक प्रशिक्षण देने के इलावा इन नुमाइश केन्द्रों में रसायनिक खादें और अन्य खादों का उचित प्रयोग करने संबंधी जानकारी देंगे। यह केंद्र सफ़ेद मक्खी के कारण प्रभावित हुए किसानों में विश्वास बहाल करने के लिए मददगार होंगे।
मानसा, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहब, फाजिल्का, संगरूर, बरनाला और फरीदकोट नाम के सात जिलों के डिप्टी कमीशनरों और मुख्य कृषि आधिकारियों ने मीटिंग में हिस्सा लिया और मुख्यमंत्री की मानसा क्षेत्र के पिछले हफ्ते के दौरे के बाद के हालत संबंधी उनको अवगत् करवाया।मीटिंग में बताया गया कि कपास की काश्त अधीन कुल 3.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में से सिफऱ् 18.1 हेक्टेयर क्षेत्रफल सफ़ेद मक्खी कारण प्रभावित हुआ है। बठिंडा जिले में कुल 140000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में केवल 3.6 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है जबकि मानसा में 86010 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 10.2 हेक्टेयर क्षेत्रफल और श्री मुक्तसर साहिब में 64608 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 1.6 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। इसी तरह ही फाजिल्का में सफ़ेद मक्खी कारण 74655 हेक्टेयर क्षेत्रफल में केवल 2 प्रतिशत और बरनाला में 5460 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 0.7 प्रतिशत हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। संगरूर, फरीदकोट और मोगा में सफ़ेद मक्खी के साथ कोई भी नुक्सान नहीं हुआ है।मुख्यमंत्री ने मीटिंग में स्पष्ट किया है कि जाली और घटिया किस्म के कीटनाशकों की बिक्री के मामले पर किसी भी तरह की ढील सहन नहीं की जायेगी। उन्होंने इस तरह के कीटनाशकों की सप्लाई करने वाले डीलरों विरुद्ध अधिकारियों को कठोर कार्यवाही करने के लिए कहा ताकि उनको मिसाली सज़ा यकीनी बनाई जा सके।मुख्यमंत्री ने पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस-चांसलर डा. बी.एस. ढिल्लों और डायरैक्टर कृषि जसबीर सिंह बैंस को सिफ़ारिश की किस्मों के बीज बीजने और मानक कीटनाशकों का प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए सांझी जागरूक मुहिम आरंभ करने के लिए कहा।
मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव सिंचाई को भी नहरों के आखिऱ तक उपयुक्त जल सप्लाई बिना किसी अड़चन से यकीनी बनाने के लिए निर्देश दिए ताकि कपास की फ़सल को भरपूर पानी मिल सके।कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पी.ए.यू और कृषि विभाग को निम्र स्तर पर 24 घंटे निगरानी रखने के लिए कहा ताकि किसी भी तरह के कीड़ों -मकौड़ों के हमले को समय सिर रोका जा सके। उन्होंने कहा कि गांव स्तर पर सकाऊटों का प्रबंध किया जाये और सकाऊटों और निगरानों को फ़सल की रक्षा करने के लिए किसानों को शिक्षा देने संबंधी किसी भी प्रकार की ढील के लिए जि़म्मेदार बनाया जाये।मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग के साथ परामर्श करने से बिना सफ़ाई या गार निकालने के लिए कोई भी नहर, सूआ या रजबाहा बंद न करने के लिए सिंचाई विभाग को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इनकी सफ़ाई का सही समय गेंहू की कटाई के बाद या धान की फ़सल लगाने से पहले का है ताकि किसानों को अपनी, फसलों के संबंध में किसी भी तरह की असुविधा न आए। उन्होंने कपास उतपादकों को जल सप्लाई बहाल करने के लिए तुरंत खालों में से गार निकालने और साफ़ करने के लिए प्रमुख सचिव सिंचाई को निर्देश दिए।पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रभावी प्रबंधन और थोड़ा सा मौसम ठीक होने से पिछले तीन चार दिनों से फ़सल की हालत में सुधार आया है। उन्होंने आगे बताया कि पी.ए.यू और कृषि विभाग ने कपास की फ़सल के संभाले जाने तक इसकी सुरक्षा करने के लिए सांझी कार्य योजना तैयार की है। वह कुछ प्रभावित खेतों को अपनाएंगे और किसानों को फ़सल प्रबंधन अमलों बारे नुमाइशों दौरान जानकारी देंगे।
कृषि कमिशनर ने कीड़ों -मकौड़ों से प्रभावित हुई फ़सल या ग़ैर-मानक बीजों के कारण प्रभावित हुई फ़सल और दुरप्रबंध और खेती वस्तुओं के कारणों के नतीजे के तौर पर प्रभावित हुई फ़सल में अंतर करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्हों ने मुख्यमंत्री को बताया कि पिछले कुछ हफ्तों दौरान सफ़ेद मक्खी में विस्तार होने के बावजूद इसका सिफ़ारिश किये गए कीटनाशकों के सप्रे के साथ सफलतापूर्वक प्रबंधन करने में मदद मिली है। कुछ इलाकों में थोड़ी बारिश भी पड़ी है।नहरी पानी छोडऩे के साथ नमी के दबाव को कम करने में मदद मिली है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सफ़ेद मक्खी के संबंध में घबराने की ज़रूरत नहीं है।मीटिंग दौरान यह भी बताया गया कि धान के बाद यह सूबे की दूसरी बड़ी खरीफ की फ़सल है। 2016 की खरीफ की फ़सल दौरान कपास अधीन 2.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल था और 12.57 लाख गांठां का उत्पादन हुआ था जिस के अनुसार औसतन 22.23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर झाड़ निकला था। खरीफ की फ़सल 2017 के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है जिसके उत्पादन के लिए 4 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निश्चित किया गया था। इस सीज़न दौरान अंदाजऩ 3.82 लाख हेक्टेयर कपास बीजी गई है।
मानसा में 86010, बठिंडा में 140000, श्री मुक्तसर साहब में 64608, फाजिल्का में 74655, संगरूर में 9215, बरनाला में 5460, फरीदकोट में 1813 और दूसरे जिलों में 210 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कपास है। उन्होंने बताया कि 3.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में से तकरीबन 2.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल समय पर 15 मई तक बीजा गया और 1.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बिजाई बाद में हुई।इस मौके पर उपस्थित अन्यों में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्य मंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास एम.पी. सिंह, विशेष सचिव कृषि विकास गर्ग, कमिशनर कृषि बलविंदर सिंह सिद्धू, डायरैक्टर कृषि जसबीर सिंह, डिप्टी कमिशनर मानसा धर्मपाल अग्रवाल, डिप्टी कमिशनर बठिंडा दिपर्वा लाकरा, डिप्टी कमिशनर श्री मुक्तसर साहिब सुमित जारंगल, डिप्टी कमिशनर फाजिल्का ईशा कालिया, डिप्टी कमिशनर बरनाला घनश्याम थोरी, डिप्टी कमिशनर फरीदकोट रजीव पराशर और डिप्टी कमिशनर संगरूर ए.पी.एस. विर्क शामिल थे। इस मौके पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रधान सुनील जाखड़ विशेष निमंत्रण पर मीटिंग में शामिल हुए।