पश्चिम बंगाल से अलग गोरखालैंड राज्य की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) का एक छोटा सा प्रतिनिधिमंडल रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से राजधानी दिल्ली में मिला और अलग गोरखालैंड की मांग रखी। जीजेएम के नेता स्वराज थापा के नेतृत्व में छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राजनाथ सिंह के साथ दो घंटे तक बैठक की, जिसमें गृह सचिव राजीव महर्षि और केंद्रीय मंत्री एवं दार्जिलिंग के सांसद एस. एस. अहलुवालिया भी मौजूद थे।बैठक के बाद थापा ने मीडिया से कहा कि गृह मंत्री ने ध्यान से प्रतिनिधिमंडल की मांगें सुनीं और विरोध प्रदर्शन वापस लेने के लिए कहा।थापा ने हालांकि कहा कि अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।थापा ने कहा, "हमने गृह मंत्री से कहा कि पूरे इलाके को काटकर अलग राज्य बनाने के सिवा इसका कोई दूसरा समाधान नहीं हो सकता। हमने उनसे अलग राज्य गठित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया..हमारी मांग संविधान के अनुरूप है।
"उन्होंने कहा कि जीजेएम के नेतृत्व और पार्टी से सलाह-मशविरा कर अगले कुछ दिन में बंद वापस लिए जाने पर कोई फैसला लिया जा सकता है।उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह ने गोरखालैंड के नेताओं को इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाया था।पश्चिम बंगाल में पिछले साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दार्जिलिंग के विभिन्न समुदायों के लिए कई 'विकास बोर्ड' गठित करने की घोषणा करने के बाद अलग गोरखालैंड राज्य बनाए जाने की मांग उठी।चुनाव के बाद यह मांग और तेज होती गई है। जीजेएम इन चुनावों में दार्जिलिंग की सारी सीटों पर जीत हासिल करने में तो सफल रहा, लेकिन उसके मत प्रतिशत में 40 फीसदी से भी अधिक की गिरावट दर्ज की गई और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने इलाके में पैठ हासिल की।दार्जिलिंग के सिंघमारी और पाटलेबास इलाकों में बीते कुछ महीने में हिंसा की कई घटनाएं हुईं, जिनमें जीजेएम के कार्यकर्ता और पुलिस शामिल रही।