चोटी काटने की घटनाओं पर प्रतिकिर्या व्यक्त करते हुए तर्कशील सोसाइटी पंजाब ने दावा किया है के इन घटनाओं के पीछे किसी गैबी शक्ति का कोई हाथ नहीं बल्कि यह घटनायें मनुष्य के द्वारा ही की जा रही हैं। यहाँ बातचीत करते हुए तर्कशील नेता जरनैल क्रांति, प्रिंसिपल गुरमीत खरड़, लेक्चरार सुरजीत सिंह ने बताया कि सोसाइटी की विभिन इकाइयों द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया है कि इन घटनाओं के पीछे मानसिक परेशानी, अंधविश्वास, परिवार में मान-सम्मान की कमी, हिस्टीरिया और समाजिक सिस्टम जिम्मेवार है। तर्कशील नेताओं ने बताया जब भी कोई बाल काटने की शिकायत करता है, उस समय वो अकेला होता है और ज्यादातर केसों में शिकायत करने वाला स्वयं ही अपने बाल काटता है। तर्कशील नेताओं ने कहा कि यह भी सामने आया है कि कुछ लोग घर में अपना मान सम्मान पाने, इन घटनाओं की आड़ में बाल कटवाने की इच्छा को पूरा करने और लोगो का धयान आकर्षित करने के लिए भी इन घटनाओं में लिप्त हो रहे हैं। तर्कशीलों ने चैलेंज किया कि अगर कोई इन घटनाओं के पीछे किसी गैबी शक्ति, तथाकथित चुड़ैल या भूत प्रेत के हाथ होने को साबित कर दे तो सोसाइटी उसे पांच लाख का नकद इनाम लोगों के बीच देगी। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को रोकने के लिए नीम के पत्ते और नींबू-मिर्च टांगने जैसे काम अंधविश्वास हैं जबकि यह घटनाएं वैज्ञानिक सोच अपनाने से ही दूर हो सकती हैं।
उन्होने कहा कि इस मसले पर जहां सरकार की चुप्पी कई तरह कि सवाल खड़े करती है वहीं किसी भी पोलिटिकल पार्टी ने एक शब्द तक नहीं कहा। उन्होने पुलिस प्रसाशन से अपील की कि वह घटनाओं की तह तक जाँच करे और कानूनी करवाई अमल में लाये। उन्होंने जिला बरनाला के सहना में नीम के पत्ते तोड़ते हुए एक बच्चे की मौत पर दुख व्यक्त किया और कहा कि अगर अंधविश्वास ना होता तो उस घर का चिराग कभी न बुझता। तर्कशील नेताओं ने उन बातों को भी असत्य और आधारहीन बताया जिसमे बाल कटने का कारण एक चीनी कीड़े को बताया जा रहा है। सोसाइटी के सदसयों ने दावा किया कि राजस्थान सरकार के ऑर्डर का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर इस झूठ फैलाया जा रहा है जबकि अभी तक ऐसा कोई हुक्म जारी नही किया। नेताओं ने कहा कि अंधविश्वास के कारण हमारे देश में अफवाहें फैलती रहती हैं और इससे पहले भी मंकी मैन, गणेश की मूर्तियों का दूध पीना, मोबाइल पे काल रिसीव करने से मौत होना जैसी अफवाहें फैलाई गई थी। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह ऐसी अफवाहों से सावधान रहें और किसी भी घटना को सोशल मीडिया पर आगे भेजने से पहले उसकी पुष्टि कर लें क्योंकि इससे सनसनी और अंधविश्वास फैलता है जिससे बच्चों के मनों डर पैदा होता है।