कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार की तरफ से विरोधी पक्ष को भरोसे में लिए बिना ही पंजाब मानवीय अधिकार कमीशन के चेयरमैन की नियुक्ति का आम आदमी पार्टी ने सख्त नोटिस लेते हुए इसको गैर कानूनी और गैर लोकतांत्रिक कार्यवाही बताया है।आम आदमी पार्टी पंजाब के सह-प्रधान और विधायक अमन अरोड़ा ने कहा कि कैप्टन सरकार का यह कदम कानून की उलंघन के बराबर है वहीं लोकतांत्रिक व्यवस्था की पैरवी करते भारतीय संविधान की भी धज्जियां उडाता है।अरोड़ा ने कहा कि मानवीय अधिकारों की सुरक्षा के लिए गठित कमीशन के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति माननीय गवर्नर की तरफ से कमेटी की सिफारिश पर होती है और कमेटी में मुख्य मंत्री, स्पीकर, ग्रह मामलों से सम्बन्धित मंत्री और विरोधी पक्ष का नेता शामिल होता है परंतु कैप्टन सरकार ने विरोधी पक्ष के नेता के बिना ही यह कार्यवाही मुकम्मल कर दी है, जो निंदनीय गतिविधि है। इस से जहां कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार की नीयत सामने आई है वहीं यह भी साबित हो गया है कि कैप्टन सरकार में कानून और लोकतंत्र व्यवस्था का कोई सम्मान नहीं।
उन्होंने याद करवाया कि यह वही कांग्रेस है जो पिछले 10 सालों दौरान अकाली -भाजपा सरकार पर विरोधी पक्ष को दबाने और लोकतंत्र की धज्जियां उडाने का आरोप लगाती रही है।अरोड़ा ने कहा कि इस तरह लगता है कि कैप्टन सरकार ने आम आदमी पार्टी के विरोधी पक्ष के नेता की तरफ से इस्तीफा दिए जाने के उपरांत पैदा हुई स्थिति को मौकाप्रस्ती के तौर पर इस्तेमाल किया है, क्योंकि फूलका ने मंगलवार दोपहर 2 बजे स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा था और उसी दिन 5 बजे पंजाब सरकार की तरफ से मानवीय अधिकार कमीशन के चेयरमैन की नियुक्ति के लिए मीटिंग का निमंत्रण आ गया, यह एक सोची समझी साजिश है। अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने इस सम्बन्धित ग्रह विभाग को पत्र लिखा था कि वह विरोधी पक्ष के नए नेता के चुनाव तक इस मीटिंग को रद्द कर लें, यहां तक की यह भी अपील की गई थी कि विरोधी पक्ष के नेता की गैर हाजरी की सूरत में उप नेता को इस मीटिंग में बैठने दिया जाये, परंतु सरकार ने कोई सूचना देने की भी जरूरत नहीं समझी, उनको यह सारी गतिविधि मीडिया रिपोर्टों के द्वारा पता लगी है।