सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश के शहरी योजना विभाग तथा अवैध निर्माण में लिप्त कसौली के होटल व रिसॉर्ट के मालिकों के बीच सांठगांठ है। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे तथा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अवकाश पीठ ने तीन याचिकाकर्ता होटलों की तरफ से पेश हुए वकील से कहा, "देखिए, अधिकारियों ने क्या किया है। आपकी मदद करने को उन्होंने आपसे सांठगांठ कर ली।" याचिका में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के 30 मई के आदेश को चुनौती दी गई है।एनजीटी ने कसौली के पांच होटलों के अवैध हिस्सों को तोड़ने का निर्देश दिया है, जिन्हें मंजूरी दी गई योजना का उल्लंघन कर बनाया गया है और वे पर्यावरण, पारिस्थितिकी तथा प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।इन होटलों के मालिकों द्वारा कानून का पालन न करने तथा तीन मंजिल की जगह पांच मंजिला इमारत बनाने पर न्यायमूर्ति कौल ने कहा, "अधिकारी मदद कर रहे हैं और उनके बीच सांठगांठ है।"
याचिका दाखिल करने वाले चारों होटलों-एएए गेस्ट हाउस, नीलगिरि होटल, होटल पाइन व्यू तथा शिवालिक गेस्ट हाउस (शिवालिक होटल) के लिए न्यायालय ने अलग-अलग आदेश पारित किए।नीलगिरि होटल तथा होटल पाइन व्यू के मामलों में न्यायालय ने एनजीटी के आदेश पर स्टे लगाने की अनुमति नहीं दी।एनजीटी ने तीन मई को आदेश सोसायटी फॉर प्रिजर्वेशन ऑफ कसौली तथा इसके आसपास के इलाकों द्वारा एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया था।मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। न्यायालय ने एएए गेस्ट हाउस की याचिका को नारायणी गेस्ट हाउस के साथ जोड़ दिया है। नारायणी गेस्ट हाउस के खिलाफ एनजीटी की कार्रवाई पर 16 जून को न्यायालय ने रोक लगा दी थी।