प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सोमवार को अपनी पहली सीधी मुलाकात को लेकर लगभग सभी रणनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बैठक के नतीजे ट्रंप युग में भारत के प्रति अमेरिकी नीति के प्राथमिक संकेत होंगे।कुछ लोगों को छोड़कर ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि मोदी को कम से कम आशाओं के साथ यात्रा करनी चाहिए और तुनकमिजाज ट्रंप के साथ मोदी के व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने की उम्मीद जताई।हालांकि, सरकार की आधिकारिक स्थिति यह है कि ट्रंप का व्यक्तित्व कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध संस्थागत प्रकृति के हैं, व्यक्तिगत नहीं।फिर भी मोदी व ट्रंप दोनों के कामकाज की शैली व्यक्तित्व आधारित है, क्योंकि मोदी के दुनिया भर के नेताओं से मुलाकात में यह प्रदर्शित होता है, जिसमें ट्रंप के पूर्ववर्ती ओबामा से लेकर शिंजो आबे (जापान), शी जिनपिंग (चीन), एंजेला मर्केल (जर्मनी) जैसे नेता हैं।पूर्व विदेश राज्य मंत्री शथि थरूर कहते हैं कि मोदी के ट्रंप के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाने की पूरी उम्मीद है।थरूर ने आईएएनएस से कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप की छवि कुछ अनियमित तरह की है, ऐसे में इस यात्रा में न्यूनतम अपेक्षाओं को दृष्टिकोण में रखना समझदारी होगी। प्रधानमंत्री को अपनी निजी पसंद व नापसंद के लिए प्रसिद्ध अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ निजी संबंध स्थापित करने की उम्मीद की जाती है।"उन्होंने कहा कि मोदी को ट्रंप के भारत पर जलवायु परिवर्तन को लेकर किए गए अयोग्य व गलत हमले पर सहजता से राय रखनी चाहिए।उन्होंने कहा, "इसके परे मोदी को भारत को ट्रंप के रडार स्क्रीन पर रखने की जरूरत है, जिससे हम उनके चुनाव के बाद से गायब हैं।"अमेरिका के पेरिस जलवायु समझौते से हटने की घोषणा करते हुए ट्रंप ने भारत पर विकसित देशों से अरबों डॉलर प्राप्त करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया था।मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से सोमवार को दोपहर बाद (भारतीय समयानुसार देर रात) मुलाकात करेंगे। इससे पहले मोदी ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों व अमेरिकी प्रशासन के गणमान्य लोगों से मुलाकात करने वाले हैं।