खाद्य पदार्थो की कीमतों में आई गिरावट से थोक कीमतों पर आधारित देश की महंगाई दर पिछले पांच महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है और इसके साथ ही देश के कॉरपोरेट जगत ने मौद्रिक नीति में राहत की मांग की है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, संशोधित आधार वर्ष 2011-12 के अनुसार मई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मई में घटकर 2.17 फीसदी पर आ गया, जो अप्रैल में 3.85 फीसदी था। इस गिरावट में खाने-पीने की चीजों के दाम घटने का प्रमुख योगदान है। अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक गिरकर 3.85 फीसदी था, जो मार्च में 5.11 रहा था। हालांकि साल 2016 के मई में यह गिरकर 0.90 फीसदी पर आ गया था। वर्तमान डब्ल्यूपीआई के आधार वर्ष को सरकार ने पिछले महीने संशोधित किया था और इसे 2004-05 की जगह 2011-12 कर दिया था। सरकार ने कहा कि इसमें अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं है, इससे मुद्रास्फीति में अस्थिरता कम हो रही है।
डब्ल्यूपीआई के वस्तुओं की सुधारी गई सूची में अब 676 वस्तुओं की जगह 697 वस्तुओं को शामिल किया गया है। साल-दर-साल आधार पर प्राथमिक उत्पादों पर खर्च में 1.79 फीसदी की गिरावट आई। एक साल पहले इसी महीने इसमें 4.38 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक वस्तुओं की हिस्सेदारी 22.62 फीसदी होती है।हालांकि समीक्षाधीन माह में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में 2.27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। समीक्षाधीन माह में साल-दर-साल आधार पर प्याज का थोक महंगाई दर गिरकर 12.86 फीसदी रही, जबकि आलू की थोक महंगाई दर गिरकर 44.36 फीसदी रही। मई में सब्जियों की थोक महंगाई दर घटकर 18.51 फीसदी रही, जबकि पिछले साल मई में इसमें 13.93 फीसदी वृद्धि हुई थी। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में गिरावट की जानकारी दी गई है और यह मई में 2.18 फीसदी रही, जबकि पिछले साल के समान माह में यह 5.76 फीसदी थी। इसमें गिरावट के पीछे मुख्य योगदान खाने-पीने की चीजों में हुई गिरावट का है। मई में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) में अपस्फीति देखी गई और यह गिरकर 1.05 फीसदी रही, जबकि साल 2016 के मई में यह 7.45 फीसदी पर थी।
इसमें गिरावट के पीछे दालों, अनाजों और खराब हो जानेवाले सामानों की कीमतों में हुई कमी की भूमिका है। इसके साथ ही कॉरपोरेट जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की मांग की है, क्योंकि देश के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर में गिरावट आई है। फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, "मैं समझता हूं कि विकास का समर्थन करने का मामला मजबूत हुआ है और हमें उम्मीद है कि इन आंकड़ों के आलोक में आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति के रुख पर पुनर्विचार करेगा।"उन्होंने कहा, "हमें निवेश और विकास को बढ़ावा देना चाहिए, जो अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन के लिए बहुत जरूरी है।"एक अन्य प्रमुख उद्योग संगठन, एसोचैम ने कहा कि डब्ल्यूपीआई में गिरावट से सीपीआई में भी गिरावट होगी, जिससे आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करके देश में मांग को बढ़ावा दे सकता है। उद्योग चैंबर ने संकेत दिया कि आनेवाले महीनों में भी डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों में गिरावट की उम्मीद है।