प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के गोगामुख में शुक्रवार को देश के तीसरे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की आधारशिला रखी। असम के धेमाजी जिले में असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर स्थित गोगामुख में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के समस्त विकास के लिए 'पांच पथ' का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "पांच पथ- राजमार्ग, रेलवे, जलमार्ग, वायुमार्ग तथा आईमार्ग या ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पूर्वोतर को नया भारत बनाएगा।"मोदी ने कहा कि आईएआरआई न केवल असम व अरुणाचल प्रदेश के लोगों की मदद करेगा, बल्कि पूरे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव ला सकता है।सरकार के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी स्थित आईएआरआई कृषि शोध, शिक्षा व विस्तार के लिए प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है। झारखंड के रांची में दूसरे आईएआरआई की स्थापना का काम जारी है।
मोदी ने स्थानीय लोगों खासकर इलाके के युवाओं से आईएआरआई का फायदा उठाने की अपील की और कहा कि जब स्थानीय लोग शोध गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो प्रौद्योगिकी को प्रयोगशाला से खेतों तक स्थानांतरित करना बेहतर होता है।उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का है, और सरकार इस दिशा में काम कर रही है। 2022 के दौरान देश अपनी आजादी का 75वां दिवस मनाएगा प्रधानमंत्री ने कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के लिए एक 'संपदा' योजना की शुरुआत की और कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में इस योजना के लिए सरकार ने 6,000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है।उन्होंने कहा, "हमारी सरकार ने तीन साल पूरा कर लिया। भारत जैसे विशाल देश में किसी चीज में बदलाव करने के लिए तीन साल काफी नहीं हैं। हालांकि हमारी सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जो लोगों को पहले से ही दिख रहे हैं।"
पूर्वोत्तर में जैविक खेती की अपार संभावना की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जैविक उप्तादों का वैश्विक बाजार है।उन्होंने कहा, "सिक्किम ने खुद को जैविक राज्य घोषित कर जैविक खेती के लिए पहले ही एक उदाहरण पेश कर दिया है। अगर पूर्वोत्तर वैश्विक होता है, तो भारत दुनिया का एक बड़ा जैविक उत्पादक बन सकता है।"मोदी ने कहा कि भारत एक कृषि अर्थव्यवस्था है, लेकिन कृषि क्षेत्र के विकास के लिए बहुत ज्यादा काम नहीं किया गया।उन्होंने कहा, "छोटे कदम उठाए गए थे, लेकिन समय और इंतजार नहीं करेगा। बीते 25 वर्षो में विज्ञान व प्रौद्योगिकी में व्यापक बदलाव आया है और समय आ गया है कि हमारे किसानों को विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए गए प्रयासों का लाभ मिले।"