राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को जंतर मंतर पर हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोगों ने न्याय की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन किया। दलित समुदाय का यह प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पांच मई, 2017 को सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों के समर्थन में था।नवगठित दलित संगठन 'भीम आर्मी' के नेतृत्व में बुलाए गए इस धरना-प्रदर्शन में सहारनपुर और आस-पास के इलाकों के युवा शामिल हुए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की छात्र इकाई ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन के सदस्यों ने भी विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया।आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे ने आईएएनएस से कहा, "हमारी मांग है कि भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद पर लगाए गए आरोप वापस लिए जाएं और दलित ग्रामीणों को निशाना बनाने वाले और उनके घरों को जलाने वाले तथाकथित ऊंची जाति के लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।"
सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप जयंती के दौरान ऊंची आवाज पर संगीत बजाए जाने के खिलाफ विरोध जताने पर दोनों समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी।हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 16 अन्य घायल हुए थे।विरोध प्रदर्शन में शामिल आइसा के एक अन्य सदस्य ने कहा कि नवगठित दलित संगठन समुदाय के लोगों को आकर्षित करने में सफल रहा है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि विरोध-प्रदर्शन में 10,000 से 15,000 के करीब लोगों ने हिस्सा लिया।आइसा के एक नेता ने आईएएनएस को बताया कि भीम आर्मी सहारनपुर इलाके के पढ़े-लिखे दलित युवकों का संगठन है, जो दलित अधिकारों के नाम पर सिर्फ नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की पारंपरिक मांगों से भिन्न विचार रखता है।