दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार तथा तीनों नगर निगमों से कहा कि वे उन अधिकारियों के नाम बताएं, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि इस साल राष्ट्रीय राजधानी में मच्छरों से होने वाली बीमारियां डेंगू तथा चिकनगुनिया का प्रकोप नहीं फैलेगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल तथा न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की एक खंडपीठ ने सरकार तथा नगर निगमों से कहा है कि वे उन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम बताएं, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि यहां मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों का प्रकोप नहीं होगा और उन्होंने एहतियान तमाम कदम उठाए हों।पीठ ने कहा, "हमें इस बात का यकीन कौन दिलाएगा कि इस साल डेंगू का प्रकोप नहीं होगा? इस न्यायालय को कौन यकीन दिलाएगा? हम यहां लोगों के जीवन की बात कर रहे हैं। क्या आप 21वीं सदी की दिल्ली को मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू..रहित बनाएंगे।"उच्च न्यायालय ने कहा कि वह चाहता है कि संबंधित प्राधिकार के वरिष्ठ अधिकारी केवल एयर कंडीशन कमरों में बैठकर स्थिति रिपोर्ट न सौंपे, बल्कि क्षेत्र में जाएं और जांच-पड़ताल भी करें।
न्यायालय ने कहा, "हम स्थिति रिपोर्ट नहीं चाहते, हम निरीक्षण रिपोर्ट चाहते हैं।"पीठ ने कहा कि दिल्ली में कई अस्पताल इस्तेमाल में नहीं हैं और वाहक-जनित रोगों के प्रकोप के दौरान अतिरिक्त बिस्तरों की जरूरतों के मुद्दे का समाधान करने के लिए हमें अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाने की जरूरत है।दिल्ली उच्च न्यायालय का यह निर्देश दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आया है, जिसमें आरोप लगाए गए हैं कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार तथा तीनों नगर निगम मच्छर जनित बीमारियों से निपटने के लिए न तो अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं और न ही सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।साल 2016 में मच्छर जनित बीमारियों से कई लोगों की मौतों पर चिंता जताते हुए पीठ ने नगर निगमों से पूछा कि डेंगू, चिकनगुनिया तथा मलेरिया की रोकथाम के लिए पिछले साल की अपेक्षा इस साल क्या कदम उठाए गए हैं।दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, एक जनवरी से लेकर आज तक यानी चार महीनों के दौरान दिल्ली में चिकनगुनिया के कम से कम 80 तथा डेंगू के 30 मामले सामने आ चुके हैं।उल्लेखनीय है कि ये बीमारियां जुलाई तथा दिसंबर के बीच होती थीं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में डेंगू के 4,431 तथा चिकनगुनिया के 9,749 मामले सामने आए थे, जो इन बीमारियों का अब तक का सबसे भीषण प्रकोप रहा है।