उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने सोमवार को कहा कि दिव्यांगों के लिए बना शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय आगे चलकर एक मॉडल के तौर पर उभरेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि दिव्यांगों की बेहतरी के लिए यह विश्वविद्यालय काफी अच्छा काम कर रहा है। लखनऊ में शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने यह बात कही। उन्होंने इस दौरान 53 छात्र-छात्राओं को मेडल वितरित किए। नाइक ने कहा, " जब मैं यहां का राज्यपाल बना था तब उच्च शिक्षा की हालत ज्यादा ठीक नहीं थी। यहां राज्य के कुल 29 विश्वविद्यालय हैं। यहां आने के बाद सबसे पहला काम यही हुआ कि सभी विश्वविद्यालयों ने समय से अपना दीक्षांत समारोह कराना शुरू किया। इससे एक अच्छी पहल हुई।राज्यपाल ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था अब पटरी पर लौट रही है। शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के कुलपति ने यहां दिव्यांग जनों के लिए काफी काम किया है।
विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जाना एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा, "अटल जी की कर्मभूमि लखनऊ रही है। यहां पर प्रेक्षागृह का नामकरण उनके नाम पर किया जाना वाकई शानदार है।"ज्ञात हो कि राज्यपाल ने इस मौके पर विश्वविद्यालय में अटल प्रेक्षागृह का उद्घाटन भी किया। इस मौके पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा कि दिव्यांगों के लिए वाकई यह विश्वविद्यालय अद्भुत है। उन्होंने कहा, "देश में बहुत सारे विश्वविद्यालय हैं, लेकिन मैं वहीं जाने का प्रयास करता हूं, जहां अच्छा काम हो रहा है। शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय में दिव्यांगों के लिए काफी काम हुआ है। आगे भी केंद सरकार इस विश्वविद्यालय का सहयोग करेगी। हमारी अपेक्षा है कि देश में विकलांगों के लिए एक केंद्रीय विश्वविद्यालय होना चाहिए।"प्रकाश जावड़ेकर ने विश्वविद्यालय की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिव्यांगों को सम्मान देने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि पहले कोई विकलांग कहता था तो कोई अपाहिज कहकर पुकारता था, लेकिन मोदी ने पहली बार सम्मान देते हुए 'दिव्यांग' शब्द का इस्तेमाल किया, जिसका अर्थ है सुंदर अंग। इससे पहले विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. निशीथ राय ने राज्यपाल राम नाइक व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर व उप्र के दिव्यांगजन सशक्तीकरण मंत्री ओम प्रकाश राजभर का स्वागत किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने बहुत कम समय के भीतर ही अपना एक अलग मुकाम बनाया है। इस विश्वविद्यालय में दिव्यांगों के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
राय ने कहा, "इस विश्वविद्यालय में वर्तमान में 8 संकाय हैं और कुल मिलाकर साढ़े चार हजार छात्र छात्राएं यहां पढ़ रहे हैं। यहां दिव्यांगों के लिए काफी सहूलियत दी जाती है। उनके पढ़ने, रहने और खाने की मुफ्त व्यवस्था की गई है। इसका लाभ राज्यभर के दिव्यांगों को मिल रहा है।"राय ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के बनने के बाद अब राज्य के दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता। उन्होंने कहा, "उप्र का कोई भी दिव्यांग अगर इस विश्वविद्यालय में आता है, तो उसे उसकी आवश्यकता के अनुरूप निशुल्क कृत्रिम अंग उपलब्ध कराया जाता है।"