पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों क्षेत्रीय छत्रपों, खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ आवाज मुखर करने वाले बड़े नेताओं से संपर्क बढ़ाने में जुटी हैं और इसके लिए वह सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं। इन नेताओं के साथ अपने संबंधों को नया आयाम देने के प्रयास के तहत उन्होंने उनमें से कई को ट्विटर पर फॉलो करना शुरू किया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख न सिर्फ उनके साथ तस्वीरें साझा कर रही हैं, बल्कि उन्हें ट्वीट भी कर रही हैं।ममता बनर्जी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई एक तस्वीर को रिट्वीट किया और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख के साथ मुलाकात पर प्रसन्नता जताई। तस्वीर में ममता तथा अखिलेश दोनों साथ हैं। ममता ने ट्वीट किया, "कुछ दिन पहले इस ट्वीट को मिस किया। दिल्ली में आपसे मिलकर अच्छा लगा। धन्यवाद।"दोनों नेताओं ने पोइला बोइशाख (15 अप्रैल से बंगाल का नववर्ष) के मौके पर सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं भी दीं।अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, "पोइला बोइशाख की मुबारकबाद! नववर्ष आनंदभरा व सपनों को पूरा करने वाला हो।"
वहीं प्रतिक्रियास्वरूप ममता ने ट्वीट किया, "पोइला बोइशाख पर शुभकामना देने के लिए धन्यवाद अखिलेश। आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।"राज्य में सोशल मीडिया पर सर्वाधिक सक्रिय नेताओं में से एक तृणमूल अध्यक्ष ने जम्मू एवं कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला को लोकसभा उपचुनाव में जीत पर भी बधाई दी। ममता ने फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला के अकाउंट पर ट्वीट किया, "बधाई फारूक अब्दुल्ला जी। आपके जैसे नेता के संसद में दोबारा आने पर खुशी हुई।"वहीं, उमर ने जवाब दिया, "धन्यवाद दीदी। आपके संदेश के लिए उन्होंने (फारूक अब्दुल्ला) ने मुझे आपको धन्यवाद कहने के लिए कहा।"बीते कुछ दिनों के दौरान ममता ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता एम.के.स्टालिन तथा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट को फॉलो करना शुरू किया है।ममता बनर्जी द्वारा विभिन्न क्षेत्रीय दलों के नेताओं से संपर्क बढ़ाने की इस मुहिम को साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एक महागठबंधन की अटकलों से जोड़कर देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंद्योपाध्याय के मुताबिक, सोशल मीडिया पर संदेशों के आदान-प्रदान से ममता बनर्जी की साख बढ़ सकती है और भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व के खिलाफ एक गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने के लिए तमाम भाजपा विरोधी शक्तियों को एकजुट करने में मदद मिलेगी।बंद्योपाध्याय ने कहा, "सोशल मीडिया पर आमोद-प्रमोद से उनके संबंध अन्य नेताओं से प्रगाढ़ होंगे, लेकिन असल राजनीतिक लड़ाई तो जमीन पर होगी। गठबंधन के लिए यह देखना होगा कि अखिलेश यादव व मायावती तथा डीएमके या एआईएडीएमके जैसी ताकतें साथ आती हैं या नहीं।"उन्होंने कहा, "ममता बनर्जी वर्तमान में भारतीय राजनीति में एक बहादुर चेहरा हैं, जो मोदी को चुनौती दे सकती हैं या भाजपा से मुकाबले के लिए एक गठबंधन का नेतृत्व कर सकती हैं। वह विपक्षी पार्टियों की एकजुटता के लिए भी कड़ी मेहनत कर रही हैं। लेकिन मेहनत रंग लाएगी या नहीं, यह परिस्थितिजन्य समीकरणों पर निर्भर करेगा।"