सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को बाबरी मस्जिद मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह और केंद्रीय मंत्री उमा भारती सहित अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जाएगा। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की सदस्यता वाली पीठ ने आपराधिक साजिश के मामले को बहाल करते हुए, मामले को रायबरेली से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया।न्यायमूर्ति नरीमन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कल्याण सिंह पर राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते अभी मुकदमा नहीं चलेगा, लेकिन इस पद से मुक्त होते ही उनके खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाएगा।अदालत ने साथ ही कहा कि लखनऊ की अदालत आडवाणी व अन्य के खिलाफ अतिरिक्त आरोप तय करेगी और उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई नए सिरे से नहीं होगी और मामले की सुनवाई पूरी होने तक न्यायाधीश का स्थानांतरण नहीं किया जाएगा।शीर्ष न्यायालय ने मामले की सुनवाई दो साल के भीतर पूरी करने का आदेश देते हुए कहा कि मामले की सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर होगी और सामान्य स्थिति में सुनवाई टाली नहीं जाएगी।शीर्ष न्यायालय ने आडवाणी और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश के मामले को हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मई 2010 के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया।
इससे पहले छह अप्रैल को पीठ ने भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ सदस्यों के खिलाफ आपराधिक साजिश के मामले को बहाल करने की सीबीआई और अन्य याचिकाकर्ताओं की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।आडवाणी, जोशी, उमा भारती, विनय कटियार (भाजपा), साध्वी ऋतंभरा, आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया (वीहिप) पर छह दिसंबर, 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद गिराए जाने से पहले रामकथा कुंज में एक मंच से भाषण देने को लेकर मुकदमा चल रहा है।वह स्थान विवादित ढांचे से महज 200 मीटर की दूरी पर था।किशोर और सिंघल का निधन हो चुका है।शीर्ष न्यायालय ने छह अप्रैल को आदेश सुरक्षित रखने से पहले कहा था कि जहां तक आपराधिक साजिश के मामले का सवाल है, अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का प्रयोग कर सकती है और मामले को रायबरेली से लखनऊ स्थानांतरित कर सकती है, ताकि आडवाणी और जोशी समेत 13 अन्य लोगों पर आपराधिक साजिश का मामला चलाया जा सके।हालांकि आडवाणी और जोशी दोनों ने इसका विरोध करते हुए दलील दी थी कि अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का प्रयोग करके अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकती।जिस पर पीठ ने कहा था, "अनुच्छेद 21 के कई पहलू हैं। फिर पीड़ितों के अधिकार के मामले में अनुच्छेद 21 का क्या होगा।"