पंजाब सरकार ने आज 125 वर्षीय पुराने ऐतिहासिक खालसा कालेज अमृतसर का निजीकरण हो जाने पर इसके विरासत रूतबे के खो जाने से बचाने के लिए विवादपूर्ण खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट-2016 रद्द करने का फैसला किया है।यह फैसला आज यहां पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता तहत हुई मंत्रिमंडल की बैठक दौरान लिया गया है। कैप्टन अमरिंदरा सिंह ने खालसा कालेज की श़ानदार विरासत की रक्षा करने का वादा किया जो विरासती दर्जे वाली मुल्क की सबसे पुरानी शैक्षणिक संस्थाओं में से एक है।यह प्रगटावा करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिमंडल ने खालसा कालेज सोसायटी द्वारा इस गौरवमयी संस्था को यूनिवर्सिटी में तबदील करके इस के विरासती दर्जे को तहस-नहस करने वाला कदम बताया है। मंत्रिमंडल ने यह पक्ष पर भी विचार किया कि गत् अकाली-भाजपा गठजोड़ सरकार द्वारा अमृतसर के वासियों, राज्य के बुद्धिजीवी वर्ग और खालसा कालेज के पूर्व विद्यार्थियों की सख़्त विरोधता के बावजूद खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट-2016 द्वारा अमृतसर में खालसा यूनिवर्सिटी स्थापित की गई।
मंत्रिमंडल ने फैसला किया कि अमृतसर में ओर यूनिवर्सिटी स्थापित करने की कोई अर्थ नहीं बनता क्योंकि इस शहर में पहले ही उच्च शिक्षा की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीयां मौजूद हैं। अमृतसर में स्थापित गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी देश की नामवर यूनिवर्सिटीयों में एक है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल है। इसी प्रकार अमृतसर में ही स्थापित श्री गुरू राम दास यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साईसिज़ और इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमैंट भी राष्ट्रीय गौरवमयी संस्थानों में शामिल है।मंत्रिमंडल द्वारा यह भी विचार में लाया गया कि यूनिवर्सिटी बनाने के लिए खालसा कालेज की ज़मीन ले लेने के साथ इस कालेज का अस्तित्व पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा जिसके साथ खालसा कालेज की इमारत की विलक्षण पहचान भी खो जाएगी। मंत्रिमंडल ने दृढ़ता व्यक्त करते हुए कहा कि खालसा कालेज की पहचान और खालसा कालेज के साथ संबंधित सभी जायदादों को ज्यों के त्यों रखना चाहिए ताकि कालेज का भवन निर्माण की श़ान व विलक्षणता को संभाला जा सके।