पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आटा-दाल स्कीम को और प्रभावशाली तथा व्यापक बनाने के लिये नीलाकार्ड लाभपात्रियों की सूची की पुन: पड़ताल करने के आदेश जारी किये हैं। इसके साथ ही लाभपात्रियों को आधारकार्ड से जोडऩे का फैसला भी किया है। इस योजना के घेरे में आत्महत्या कर चुके किसानों के परिवारों तथा भूमिहीन मज़दूरों को भी लाने के निर्देश जारी किये हैं। इस संबंधी फैसला पंजाब के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आज खाद्य एवं सिविल आपूर्ति तथा खपतकार मामलों के विभाग की हुई समीक्षा बैठक में लिया गया।मौजूदा नीले कार्डो को स्मार्ट राशन कार्डो में तबदील करके इस स्कीम को और अधिक बेहतर बनाने तथा शिअद -भाजपा सरकार द्वारा मौजूदा कार्डो को सियासी नेताओं से जोडऩे से छुटकारा दिलाने का भी फैसला किया गया। शिरोमणि अकाली दल -भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के गत् 6-7 महीनों में ही इस स्कीम अधीन 7 लाख लाभपात्रियों को जोड़ा था।
एक अनुमान अनुसार 1.39 करोड़ लाभपात्रियों में से 2-3 प्रतिशत लाभपात्री योग्य नहीं हैं जिनको शिअद-भाजपा सरकार ने अपने सियासी स्वार्थो के कारण इस सूची में शामिल किया था। मुख्यमंत्री ने विभाग को इस सूची की पड़ताल तथा आयोग्य लाभपात्रियों को इसमें से हटाने के निर्देश दिये हैं। गत् सरकार ने बहुत से कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं को इस स्कीम का लाभ देने से इंकार किया था। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को इस स्कीम अधीन केवल योग्य लाभपात्रियों को ही लाभ देने को यकीनी बनाने के लिये कहा है।बैठक के दौरान लाभपात्रियों को जारी किये जाने वाले नये स्मार्ट कार्डो पर किसी सियासत दान की तस्वीर ना लगाने का फैसला किया है।सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने विभाग को कार्ड बनाने तथा वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने क ी हिदायत की ताकि योग्य लाभपात्री को इसका फायदा मिल सके।बैठक के दौरान अगस्त, 2014 से स्कीम अधीन दालों की बेतरतीबे वितरण के मद्देनजर वितरण प्रणाली को पटड़ी पर डालकर नियमित बनाने का फैसला किया गया क्योंकि जनवरी-मार्च, 2016 तथा दिसंबर, 2016 में ही दाल वितरित की गई थी।