कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव से भारतीय दूतावास के संपर्क करने को लेकर भारत के 14वें अनुरोध को पाकिस्तान ने शुक्रवार को खारिज कर दिया और कहा कि उन्हें मौत की सजा देश के कानूनों के अनुसार दी गई है। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि जनवरी महीने में उसने जाधव से संबंधित 'विशिष्ट सूचनाएं' मांगी थी, जिसे नई दिल्ली ने खारिज कर दिया था।पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबावले ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान की विदेश सचिव तहमीना जांजुआ से मुलाकात की और जाधव से भारतीय दूतावास के संपर्क करने की मंजूरी और उनके खिलाफ आरोप पत्र की प्रति मांगी।जांजुआ से मुलाकात के बाद बंबावले ने संवाददाताओं से कहा कि अनुरोध को खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा, "हमने एक बैठक (जाधव के साथ) की मांग की, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।"
भारत ने कहा है कि जाधव से संपर्क करने के भारतीय दूतावास के 13 अनुरोधों को पाकिस्तान ठुकरा चुका है।अजीज ने इस मुद्दे पर 'भड़काऊ बयानबाजी और पूर्वनियोजित हत्या जैसे बयानों' को लेकर भारत को चेताते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप केवल दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा।उन्होंने जाधव पर एक संवाददाता सम्मेलन में यह भी पूछा कि 'एक निर्दोष व्यक्ति' के पास दो पासपोर्ट कैसे हो सकता है।पाकिस्तान के मुताबिक, मार्च 2016 में गिरफ्तारी के वक्त जाधव के पास से दो पासपोर्ट मिले थे, जिनमें एक उसके नाम पर, जबकि दूसरा हुसैन मुबारक पटेल के नाम पर था।
उन्होंने पूछा, "अपने पहचान दस्तावेज में जाधव फर्जी नाम का इस्तेमाल क्यों कर रहा था?"
अजीज ने कहा कि पाकिस्तान ने इस साल 23 जनवरी को विशिष्ट जानकारी प्राप्त करने तथा कुछ महत्वपूर्ण गवाहों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारत को एक लेटर ऑफ असिस्टेंस लिखा था, जिसका जवाब आज तक नहीं मिला। उन्होंने कहा, "भारतीय पक्ष की ओर से उस खत का कोई जवाब नहीं मिला।"वहीं, कोलकाता में भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जाधव पर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि "नहीं, नहीं, यह सच नहीं है।"राजनाथ ने यह भी कहा कि जाधव के मामले में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, "कुलभूषण को न्याय दिलाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारत किसी भी हद तक जा सकता है।"
सजा में पूरी पारदर्शिता बरते जाने की बात कहते हुए शीर्ष राजनयिक ने कहा कि जाधव के पास सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 40 दिनों का वक्त है।जाधव अपीली न्यायालय के फैसले के 60 दिनों के भीतर सेना प्रमुख के पास दया याचिका दाखिल कर सकता है। उनके लिए अंतिम विकल्प सेना प्रमुख के फैसले के बाद 90 दिनों के भीतर राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का है।उन्होंने कहा कि जाधव को सुनाई गई सजा 'विश्वसनीय, विशिष्ट सबूत' पर आधारित है, जो जासूसी तथा पाकिस्तान में विध्वंसक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता को साबित करता है। जाधव के भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के भारत के दावे को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि भारत इस बात के पुख्ता सबूत देने में नाकाम रहा है कि उसका नौसेना का कमांडर बलूचिस्तान में क्या कर रहा था।
अजीज ने कहा कि मामले में सहयोग की कमी तथा पाकिस्तान को कानूनी सहायता से इनकार करने के कारण ही जाधव से भारतीय दूतावास को संपर्क साधने की मंजूरी नहीं दी गई। सलाहकार ने कहा कि जाधव के कबूलनामे से संबंधित बयान को एक दंडाधिकारी के समक्ष दर्ज कराया गया और उचित नियमों के तहत मुकदमा चलाया गया।उन्होंने कहा कि मुकदमे में उनके बचाव के लिए एक योग्य कानूनी अधिकारी भी उन्हें मुहैया कराया गया।इस घटनाक्रम का पहले से तनावग्रस्त भारत-पाकिस्तान के कूटनीतिक संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। पिछले कुछ महीनों के दौैरान आतंकवादी हमलों तथा कश्मीर मुद्दे को लेकर संबंध पहले ही बद्तर हालात में पहुंच गए हैं, जिसका आरोप भारत ने पाकिस्तान पर लगाया है।