Friday, 19 April 2024

 

 

खास खबरें कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों का नहीं कोई किरदार : एन.के.शर्मा 15,000 रुपए रिश्वत लेता ए. एस. आई. विजीलैंस ब्यूरो द्वारा रंगे हाथों काबू पंजाब कांग्रेस ने संगरूर से चुनाव अभियान की शुरुआत की सितारों से भरी एक शाम:सतिंदर सरताज, नीरू बाजवा, देबी मखसुसपुरी, बंटी बैंस और अन्य सितारों के साथ हुआ फिल्म 'शायर' का प्रीमियर! गुजरात के भरुच में भगवंत मान की 'जन आशीर्वाद यात्रा' में उमड़ा जनसैलाब, कहा-भरूच में आप की सुनामी है भाजपा प्रदेश कार्यालय में हुई सभी जिला प्रभारियों, अध्यक्षों, महामंत्रियों,मोर्चा व मंडल अध्यक्ष एवं महामंत्रियों की बैठक श्री हरिमंदिर साहिब और श्री दुर्गियाना मंदिर में नतमस्तक हुए गुरजीत सिंह औजला भगवान राम की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक : एन.के.शर्मा सभी मुश्किलों के बीच भारत आज असंभव कार्यों को भी संभव बना रहा है : डॉ. राजीव बिंदल एकजुटता से एन.के.शर्मा के लिए प्रचार करें सभी हलका इंचार्ज : सुखबीर सिंह बादल बचपन में वेटरिनेरियन बनना चाहती थी नरगिस फाखरी PEC हमेशा से जसपाल जी की दूसरी मां थीं'': सविता भट्टी संत श्री बाल योगेश्वर दास जी महाराज जी ने किया भव्य मंदिर का उद्घाटन संजय टंडन ने समाज में वरिष्ठ नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया पंजाब पुलिस ने 72 घंटों में विश्व हिंदु परिषद के नेता का कत्ल केस सुलझाया; दो हमलावर काबू श्री राम मंदिर अज्ज सरोवर विकास समिति खरड़ की तरफ से राम नवमी के अवसर पर महा प्रभात फेरी निकाली गई न्यूरो डायवर्जेंट व्यक्तियों को सपोर्ट करने की आवश्यकता-सान्या मल्होत्रा तमन्ना भाटिया और राशि खन्ना ने 'अरनमनई 4' के गाने 'अचाचो' में तापमान बढ़ाया सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व मंत्री अनिल विज ने अंबाला से लोकसभा चुनाव प्रचार की प्रत्याशी बंतो कटारिया के साथ चुनाव प्रचार का किया आगाज अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग ने श्री मां चिंतपूर्णी मंदिर में माथा टेका आशीर्वाद मुख्य सचिव ने डा भीमराव अम्बेडकर की जयंती कार्यक्रम में बाबा साहेब को किया नमन, अर्पित किए श्रद्धासुमन

 

ईवीएम सच या वीवीपीएटी?

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

03 Apr 2017

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी 'ईवीएम' आखिर क्यों 'इलेक्शन विवाद मशीन' बनती जा रही है? अब केवल सफाई से बात बनती नहीं दिख रही, क्योंकि ईवीएम के मत सत्यापन पर्ची यानी वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) से जुड़ने के बाद जो सच्चाई सामने है, उससे निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। ईवीएम से अगर छेड़छाड़ हुई, तो यह जनता की ताकत से खिलवाड़ है। 'प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्' वाले अंदाज में, रही-सही कसर, शुक्रवार 31 मार्च को तब पूरी हो गई, जब मप्र के भिंड में होने वाले उपचुनाव का जायजा लेने पहुंचीं प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने 'वीवीपीएटी' की परीक्षा के लिए मीडिया की मौजूदगी में डेमो के लिए दो अलग-अलग बटन दबाए और दोनों ही बार पर्चियां 'कमल' की निकलीं।लेकिन उससे भी बड़ा सच यह है कि गोवा में 4 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में सभी जगह 'वीवीपीएटी' का उपयोग किया गया, पर वहां सब कुछ ठीक-ठाक रहा! ऐसे में ईवीएम पर विपक्ष के सवालों का जवाब जरूरी है। अब प्रश्न है कि ईवीएम सच या वीवीपीएटी? जाहिर है, जो दिखता है वो सच है, लेकिन जो नहीं दिखा उसे कैसे सच मानें? 

सवाल आसानी से सुलझता नहीं दिख रहा, क्योंकि सवाल विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुनावों की पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वास का है। एक और दिलचस्प तथ्य यह भी कि वर्ष 2009 में 'ईवीएम' पर खुद भाजपा की ओर से दिग्गज नेता नेता लालकृष्ण आडवाणी और सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कई आरोप लगाए थे। स्वामी सर्वोच्च अदालत भी गए, जहां 9 अक्टूबर 2013 को 'ईवीएम' में 'वीवीपीएटी' लगाने और हर वोटर को रसीद जारी करना वाली मांग पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को व्यवस्था देते हुए कहा कि 'वीवीपीएटी' स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों के लिए अपरिहार्य है तथा भारत निर्वाचन आयोग को इस प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए ईवीएम को 'वीवीपीएटी' से जोड़ने के निर्देश दिए। दरअसल 'वीवीपीएटी' मतपत्र रहित मतदान प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए, मतदाताओं को फीडबैक देने का तरीका है। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की निष्पक्षता पुष्टि है। ये ऐसा प्रिंटर है जो 'ईवीएम' से जुड़ा होता है। वोट डालते ही एक पावती निकलती है जो मतदाता के देखते ही एक कन्टेनर में चली जाती है। पर्ची पर क्रम संख्या, नाम, उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह दर्ज होता है। 

इससे वोट डालने की पुष्टि होती है और वोटर को चुनौती देने की अनुमति भी मिलती है। 2014 के आम चुनाव में 'ईवीएम' में पावती रसीद लागू करने की योजना चरणबद्ध तरीके से लागू करने के निर्देश दिए थे, ताकि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित हो। जिस पर आयोग ने कहा कि सभी 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में इस प्रणाली को लागू करने के लिए 14 लाख 'वीवीपीएटी' मशीनों की जरूरत होगी, जिसके लिए समय बहुत कम है। ऐसे में 2019 के आम चुनावों के पहले इन्हें लगा पाना संभव नहीं होगा। इसके लिए 1500 करोड़ रुपयों की भी जरूरत पड़ेगी। अभी 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद, चाहे उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव या मायावती हों, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पंजाब को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हों, सभी ने 'ईवीएम' मशीन पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे, जबकि अक्टूबर 2010 में सर्वदलीय बैठक में 'ईवीएम' इस्तेमाल के लिए व्यापक सहमति बनाते हुए कई राजनैतिक दलों ने 'वीवीपीएटी' का सुझाव दिया था, तभी से संभावना तलाशी जाने लगीं। लेकिन जब इसके अनिवार्य इस्तेमाल की तैयारियां क्रमश: अमल में आने लगीं, तभी मप्र में यह सब हो गया। यह संयोग ही कहा जाएगा जो इसी 24 मार्च शुक्रवार को 'ईवीएम' से छेड़छाड़ मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 4 हफ्तों में जवाब मांगा ही था कि अगले ही शुक्रवार 31 मार्च को मप्र में कैमरों की मौजूदगी में 'वीवीपीएटी' की अलग कहानी कैद हो गई। 

अब सवाल यह भी उठेगा, मशीन का आधिकारिक अंतिम उपयोग कहां हुआ था। जाहिर है, इसे कई कानूनी पहलुओं से जोड़ा भी जाएगा।इधर, चुनाव आयोग यह दावा करता रहा है कि 'ईवीएम' मशीनों से तब तक छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, जब तक उनकी टेक्निकल, मैकेनिकल और सॉफ्टवेयर डिटेल गुप्त रहें, तो क्या इसकी गोपनीयता भंग हो चुकी है? सवाल बहुत हैं, जिन पर आयोग व राजनीतिक दलों के बीच लंबी माथापच्ची होगी। पर विडंबना यही है कि दिखने वाली मशीन से विवाद उठा है। 'ईवीएम' की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए जहां जर्मनी ने इसे प्रतिबंधित किया था, वहीं इसी नक्शे कदम पर नीदरलैंड्स ने प्रतिबंधित किया। इटली ने भी नतीजों को आसानी से बदलने का आरोप लगाते हुए इसे चुनाव प्रक्रिया से ही हटा दिया, जबकि आयरलैंड ने संवैधानिक चुनावों के लिए 'खतरा' तक बता दिया। अमेरिका के कैलीफोर्निया सहित दूसरे राज्यों ने भी बिना पेपर ट्रेल के 'ईवीएम' के उपयोग से मना कर दिया। लेकिन हमारे देश में पेपर ट्रेल के डेमों में आई गड़बड़ी को लेकर सबकी निगाहें आयोग, सुप्रीम कोर्ट और राजनीतिक दलों पर है। आखिर सवाल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जनता की ताकत के साथ कथित 'खिलवाड़' का जो है, साथ ही यह देखना अहम होगा कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट में मत सत्यापन पर्ची की हकीकत पर अब क्या कहता है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

 

Tags: KHAS KHABAR

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD