हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को नैतिकिता के आधार पर अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए ।उनके ऊपर सी बी आई द्वारा आय से अधिक सम्पति और दस्तावेजों से की गयी छेडछाड के आरोपों को अबदिल्लीके माननीय उच्च न्यायालयने भी सही ठहराया है। ऐसे में उनको चाहिए कि वे स्वयं ही इस्तीफा दे दे और मामले में जांच एजेंसी के साथ सहयोग करे यह बात भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन ने रविवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित हुई पत्रकार वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले से यह साबित होता है कि वीरभद्र सिंह द्वारा लगाये गए सभी आरोप निराधार हैं और उनके खिलाफ सी बी आई द्वारा दायर याचिका में सभी तथ्यों को बारीकी से आकलन किया गया है । मुख्यमंत्री ने न केवल करोड़ों रुपये का गबन किया है बल्कि अपनी काली कमाई को सही करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा भी लिया है।उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस अब भ्रष्टाचारियों की जननी बनती जा रही है ।
पार्टी में नैतिकिता नाम की कोई चीज़ नहीं है।आज की पत्रकार वार्ता का उद्देश्य भी यही है कि देश और शहर की जनता को जागरूक किया जा सके कि आखिर किस प्रकार से मुख्यमंत्री ने अपने काले धन और सम्पति को बहुत चालाकी से सही साबित करने की कोशिश की । उन्होंने ऐसा करके देश की उच्च जांच एजेंसी को भी गुमराह करने की कोशिश की, जिसको माननीय अदालत ने उचित नहीं माना और वीरभद्र के खिलाफ जांच एजेंसी द्वारा दायर याचिका को उचित माना है। उन्होंने उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने अपनी आरम्भिक जांच में यह पाया कि वीरभद्र सिंह ने अपने खातों में यह दिखाया कि वर्ष २००८-०९ और वर्ष २०१०-११ के दौरान उनके सेब के बागों का मुनफ़ ६ करोड़ से ज्यादा था जबकि उससे पहले के और उसके बाद के सालों में उनका मुनाफा शून्य था । उन्होंने अपनी काली कमाई को छुपाने के लिए अपने खातों में अपने सेब का बागों की कमाई को अवैध रूप से दिखाया । उन्होंने तथ्यों को उठाते हुए पत्रकारों के बीच कुछ दस्तावेज भी प्रस्तुत किये और उसकी कॉपी भी उनको सौपी ।उन्होंने कहा कि इन सभी तथ्यों के आधार पर हीचंडीगढ़ भाजपा वीरभद्र सिंह से इस्तीफे की मांग करती है ।