छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के बटुराबहार गांव की महिला स्व-सहायता समूह द्वारा बनाया गया रेडी-टू-इट खाना आसपास के 35 गांवों की आंगनबाड़ियों में बंटता है। स्व-सहायता समूह के जरिए बटुराबहार की महिलाएं नारी सशक्तीकरण का नया अध्याय लिख रही हैं। वर्ष 2001 में वहां महिलाओं का केवल एक ही स्व-सहायता समूह था, जो अब बढ़ते-बढ़ते 15 तक पहुंच चुका है। इनमें से कुछ समूह रेडी-टू-इट फूड बनाते हैं, कुछ राशन दुकान चलाते हैं और कुछ अन्य व्यवसायों में संलग्न हैं।'हमर छत्तीसगढ़' योजना में अध्ययन भ्रमण पर रायपुर आई जशपुर जिले के विकासखंड पत्थलगांव के बटुराबहार पंचायत की सरपंच पुष्पा बाई बताती हैं, "अब गांव की महिलाएं भी आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं। खेती-बाड़ी और घर के कामों के साथ ही वह महिला स्व-सहायता समूह के जरिए स्वरोजगार कर परिवार को आर्थिक मजबूती दे रही हैं। महिलाएं मिल-जुलकर लघु उद्योग या व्यवसाय संचालित कर कमाई कर रही हैं।"
वह बताती हैं, "वर्ष 2001 में गांव की एकमात्र समूह में 10-15 महिलाएं थीं। वे सभी मिलकर कुछ रकम जमा करतीं और उसे समूह की जरूरतमंद महिला को ऋण के रूप में दिया जाता। इस समूह के अच्छे काम से प्रभावित होकर गांव की महिलाएं इससे जुड़ती गईं।"सरपंच पुष्पा बाई ने बताया, "महिलाओं ने वर्ष 2005 में स्व-सहायता समूह का पंजीयन कराकर बैंक में खाता खुलवाया। शासन की योजनानुसार समूह को अनुदान मिला। साथ ही सभी सदस्य महिलाएं रकम भी जमा करने लगीं, जिस पर ब्याज भी मिलने लगा। समूह के खाते में पर्याप्त राशि जमा होने के बाद महिलाओं ने रेडी-टू-इट फूड बनाने का काम शुरू किया।" उनका बनाया पौष्टिक खाना आसपास के करीब 35 गांवों की आंगनबाड़ियों के बच्चों में बंटता है। स्व-सहायता समूहों के जरिए ये महिलाएं अपने घर की माली हालत सुधारने के साथ ही प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने में भी अपना योगदान दे रही हैं।