तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने सोमवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि मुस्लिमों के आरक्षण में वृद्धि धर्म के आधार पर नहीं बल्कि सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर की गई है। राज्य विधानसभा में उन्होंने सोमवार को कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन कर रहा है और आयोग की रिपोर्ट आने के बाद मुस्लिमों के आरक्षण में पांच से छह फीसदी की वृद्धि करने के लिए एक विधेयक पेश किया जाएगा।उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जाएगी, लेकिन अभी सत्र का समापन नहीं होगा।मुख्यमंत्री ने कहा, "अल्पसंख्यकों एवं अनुसूचित जनजातियों सहित पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में वृद्धि करने के लिए विधेयक को पारित करने के उद्देश्य से चार-पांच दिन बाद फिर से सत्र बुलाई जाएगी।'तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने पिछले विधानसभा चुनाव-2014 के दौरान मुस्लिमों के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण बढ़ाने का वादा किया था। टीआरएस ने वादा किया था कि राज्य में मुस्लिमों को मिल रहे चार फीसदी के आरक्षण को बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया जाएगा।टीआरएस ने अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण भी 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का वादा किया था।
मुख्यमंत्री राव ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के पिछड़े वर्ग के लोगों पहले ही पिछड़ा वर्ग (ई) के तहत रखा गया है और उन्हें आरक्षण दिया गया है।एक पूर्व आईएएस अधिकारी की अक्ष्यक्षता वाली समिति ने पिछले वर्ष राज्य में मुस्लिम समुदाय पर अध्ययन किया था और राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग से भी एक और अध्ययन करने के लिए कहा।हालांकि राज्य सरकार के इस कदम का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यह कहकर विरोध किया कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण दिए जाने की बात नहीं कही गई है।राज्य सरकार हालांकि अगर नए विधेयक लाकर आरक्षण में वृद्धि करती है तो राज्य में कुल आरक्षण निर्धारित 50 फीसदी की सीमा को पार कर जाएगा। इस पर मुख्यमंत्री राव ने कहा कि वह केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय से अपील करेंगे कि उन्हें तमिलनाडु की तर्ज पर निर्धारित सीमा से अधिक आरक्षण प्रदान करने की इजाजत दी जाए।