सेना का जिक्र सिर्फ सुरक्षा को लेकर आता है, मगर मध्यप्रदेश के चंबल इलाके में इन दिनों सेना के जवान चंबल इको सिस्टम के संरक्षण और विलुप्त होते डल्फिन व घड़ियाल बचाने का संदेश देते नजर आ रहे हैं। वे साइकिल रैली के जरिए चंबल नदी के किनारे बसे गांवों में पहुंचकर लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं। भारतीय थल सेना द्वारा राज्य शासन के वन विभाग के सहयोग से साइकिल रैली निकाली जा रही है। साइकिल रैली 15 मार्च को ग्वालियर के मुरार कैंट के शाहबाज आर्टलरी ब्रिगेड से शुरू हुई। आधिकारिक तौर पर शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, इस साइकिल यात्रा में शामिल जवानों ने श्योपुर जिले के वीरपुर गांव में सहरिया जनजाति के लोगों की बस्ती में पहुंचकर उन्हें स्वच्छता के लिए प्रेरित किया। वहीं सबलगढ़ क्षेत्र में मोघिया समुदाय के लोगों से डॉल्फिन, घड़ियाल व अन्य जीवों के संरक्षण पर संवाद किया गया।
तय कार्यक्रम के मुताबिक, यह रैली 29 मार्च तक लगभग 435 किलोमीटर का फासला तय करेगी। यह रैली चंबल के किनारे बसे श्योपुर, मुरैना व भिंड जिले के विभिन्न गांवों में पहुंचेगी। साइकिल रैली में सेना के दो अधिकारी और इतने ही जूनियर कमांडिंग ऑफीसर सहित 15 जवान शामिल हैं। इस अभियान के माध्यम से चंबल के पारस्थितिकीय (इको सिस्टम) संरक्षण के प्रति जन जागरूकता लाने के प्रयास तो हो ही रहे हैं, साथ ही स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोगों को स्वच्छता अपनाने के लिए भी जागृत किया जा रहा है। इसके अलावा युवाओं को भारतीय थल सेना से जुड़ने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।