कांग्रेस ने गोवा में सरकार बनाने को लेकर मचे राजनीतिक कोहराम के बीच बुधवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को दुरुस्त तथ्यों के साथ बोलने की हिदायत दी। जेटली ने एक दिन पहले लिखे अपने ब्लॉग में गोवा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सरकार बनाने का न्यौता देने के राज्यपाल के फैसले को सही ठहराया है।कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने बुधवार को कहा, "मैं जेटली जी से पूछना चाहूंगी कि पर्रिकर जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तो वहां कुछ लोग क्यों नारे लगा रहे थे कि पर्रिकर उनके मुख्यमंत्री नहीं हैं? शपथ ग्रहण समारोह इतने कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच क्यों हुआ? इससे साफ संकेत मिलता है कि वे इस बात से डरे हुए थे कि जनादेश उनके साथ नहीं है।"
सुष्मिता देव ने कहा कि भाजपा यह प्रचार कर रही है कि उसने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया, जबकि कांग्रेस ने ऐसा किया ही नहीं, जो कि गलत है।उन्होंने कहा, "मैं इस तथ्य को सामने लाना चाहती हूं कि हमारी पार्टी ने राज्यपाल मृदुला सिन्हा से 12 मार्च को मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मुलाकात ही नहीं की। इसके बजाय उन्होंने मनोहर पर्रिकर को सरकार बनाने का आमंत्रण दे दिया।"सुष्मिता देव ने जेटली द्वारा दिए गए भारतीय राजनीतिक इतिहास के तीन पूर्व संदर्भो को भी खारिज कर दिया।जेटली ने मंगलवार को एक ब्लॉग में लिखा है, "गोवा में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति है और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में मतदान के बाद गठबंधन होना स्वाभाविक है। भाजपा ने 40 सीटों वाली विधानसभा में 21 विधायकों के समर्थन का दावा पेश किया।
ऐसे में स्वाभाविक ही है कि राज्यपाल भाजपा को ही सरकार बनाने के लिए बुलातीं।"जेटली ने अपने तर्क की वैधता साबित करने के लिए झारखंड विधानसभा चुनाव-2015 का उदाहरण दिया, जब राज्यपाल ने 30 सीटें जीतने वाली भाजपा की जगह 17 सीटें जीतने वाली शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को आमंत्रण दिया था। जेटली ने जम्मू एवं कश्मीर में 2002 में हुए विधानसभा चुनाव का उदाहरण भी दिया, जब राज्यपाल ने सर्वाधिक 28 सीटें जीतने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस को न बुलाकर पीडीपी (17 सीटें) और कांग्रेस (21 सीटें) गठबंधन को आमंत्रण दिया था।सुष्मिता देव ने कहा कि जेटली ने जो उदाहरण दिए वे सही नहीं थे।
सुष्मिता ने कहा, "दिल्ली विधानसभा चुनाव-2013 में भाजपा को 31 सीटें मिली थी। लेकिन भाजपा ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। जम्मू एवं कश्मीर के मामले में फारूक अब्दुल्ला चुनाव लड़े नहीं थे और उमर अब्दुल्ला अपनी सीट पर हार गए थे। ऐसे में नेशनल कान्फ्रेंस ने भी सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था।"उन्होंने कहा, "वहीं झारखंड के मामले में शिबू सोरेन को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया गया था, लेकिन वह बहुमत साबित नहीं कर पाए थे।"सुष्मिता ने कहा कि सबसे अधिक सीटें पाने वाली पार्टी को सरकार बनाने का आमंत्रण देना संवैधानिक तौर पर अच्छा होता है और जेटली को अपने तथ्य दुरुस्त करने चाहिए।