हैदराबाद में छात्र रोहित वेमुला की मौत और गुजरात के उना में दलितों पर हमले का हवाला देते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि देश में दलितों की रक्षा नहीं कर पाने से भारत के लोगों को अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए। चिदंबरम ने कहा, "हम सभी को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए कि हम दलितों के उत्पीड़न को नहीं रोक पाए हैं। भारत में अंबेडकर के समय से ज्यादा कुछ बदलाव नहीं आया है।"चिदंबरम ने मंगलवार की शाम किताब 'द एसेंशियल अंबेडकर' के विमोचन के अवसर पर इस बात पर दुख जताया कि अंबेडकर के समय से आज के समय में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं आया है। इस किताब का संपादन योजना आयोग के पूर्व सदस्य भालचंद्र मुंगेकर ने किया है।कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और एनसीपी नेता शरद पवार भी मौजूद थे।
वेमुला के जीवन को एक चमत्कार के रूप में वर्णित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह एक 'दलित के रूप में पला-बढ़ा' और यह मायने नहीं रखता कि वह वास्तव में दलित था या नहीं क्योंकि वह और उसके साथी उसे दलित मानते थे। हताशा में उसने खुद की जान दे दी। ऐसे में अंबेडकर के समय की तुलना में आज क्या बदला है?पुस्तक 'द एसेंशियल अंबेडकर' में अंबेडर के लेखन के खास प्रभावशाली हिस्सों का चयन किया गया है। इसमें जाति, छुआछूत, हिंदू धर्म का दर्शन, भारतीय संविधान का निर्माण, महिलाओं की मुक्ति, भारतीय शिक्षा नीति, विभाजन आदि को शामिल किया गया है।इस किताब का प्रकाशन रूपा पब्लिकेशन ने किया है। इसके लेखक भालचंद्र मुंगेकर हैं। मुंगेकर डॉ. अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के संस्थापक अध्यक्ष हैं। वह मौजूदा समय में राज्यसभा के नामित सदस्य हैं।