बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी परमेश्वर राम की छवि प्रशिक्षण काल से दागी रही है। उसपर लकड़ी चुराने का भी आरोप लग चुका है। इस आरोप में गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था। जमानत मिलने के कुछ दिन बाद ही उसने अपनी पहुंच और पैरवी की बदौलत दोबारा महत्वपूर्ण ओहदा हासिल कर लिया। फिलहाल मामला न्यायालय में विचाराधीन है।19 साल बाद लकड़ी चोरी के आरोपी परमेश्वर नियुक्ति परीक्षा के प्रश्नपत्रों की चोरी में फंसे हैं। कारनामों के चिट्ठे खुलते नियुक्ति पर भी सवाल उठने लगे हैं। आखिर ऐसे दागी छवि वाले अधिकारी को बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के सचिव की कुर्सी पर कैसे बिठा दिया गया।एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि परमेश्वर राम पर बेतिया जिले में लकड़ी चोरी का मामला दर्ज है, इसमें उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उनपर लगे सभी आरोपों के बारे में पता लगाया जा रहा है।
बेतिया में सीओ थे परमेश्वर राम
1998 में परमेश्वर राम बेतिया (पूर्वी चंपारण) के मैनाटांड के अंचालाधिकारी (सीओ) थे। आरोप है कि इस दौरान परमेश्वर की मिलीभगत से इलाके में सरकारी पेड़ों की कटाई की गई। इसके बाद उन पेड़ों की लकड़ी बेच दी गई।जब मामले की जांच शुरू हुई तो परमेश्वर सीधे तौर पर फंस गए। कटाई मजदूरों और खरीदार के बयान पर परमेश्वर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
हत्या के प्रयास का भी आरोप
बेतिया के बंगघा थाने में उनके खिलाफ न केवल लकड़ी चोरी का आरोप है, बल्कि प्राथमिकी में मारपीट, छिनतई और हत्या का प्रयास करने की धारा भी जुड़ी है। प्राथमिकी 15 सितंबर 1998 को दर्ज हुई। इसके अनुसार रुपयों को लेकर परमेश्वर ने सहयोगियों के साथ मिलकर पेड़ काटने वाले ठेकेदार की बुरी तरह पिटाई की थी। उससे नकदी छीनी थी।