बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पटना में आयोजित पुस्तक मेले में पद्मश्री बउआ देवी द्वारा कैनवास पर उकेरी गई 'कमल फूल' में कूची उठाकर लाल रंग क्या भरा, यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। नीतीश ने भले ही एक कलाकृति में रंग भरा हो, लेकिन उसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का चुनाव चिह्न् मानते हुए उसमें उनके द्वारा रंग भरे जाने को लेकर तरह-तरह के कमेंट सोशल मीडिया में आने लगे।मुख्यमंत्री पटना पुस्तक मेला परिसर स्थित 'कलाग्राम' में प्रवेश कर रहे थे, तभी पद्म पुरस्कार से सम्मानित मिथिला पेंटिंग की जानीमानी कलाकार बउआ देवी ने कैनवास पर कमल फूल की तस्वीर बनाई।आयोजकों ने मुख्यमंत्री से इस कलाकृति पर हस्ताक्षर करने का निवेदन किया। नीतीश कुमार ने भी तनिक देर नहीं की और पहले तो बउआ देवी द्वारा बनाए गए कमल के फूल में कूची उठाकर लाल रंग भरा और फिर अपने हस्ताक्षर कर दिए। कई लोगों ने इस तस्वीर को विभिन्न सोशल साइटों पर पोस्ट कर दी। इसके बाद तरह-तरह के कमेंट आने लगे।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार के जदयू और भाजपा का 17 वर्षो तक गठबंधन रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी करार देते हुए जदयू, भाजपा से अलग हो गया था। बिहार में इस समय धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का महागठबंधन सत्तारूढ़ है, जिसमें जदयू भी शामिल है।हाल के दिनों में केंद्र सरकार के समर्थन में दिए गए कई बयानों के बाद नीतीश और भाजपा के बीच नजदीकी के भी कयास लगते रहे हैं। यह दीगर बात है कि नीतीश ने कई मौकों पर इसका खंडन किया है।पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को नीतीश के जल्द ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने का दावा किया है।इससे पहले मुख्यमंत्री ने पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 23वें पटना पुस्तक मेले का उद्घाटन किया। 11 दिनों तक चलने वाले इस पुस्तक मेले में बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमियों के भाग लेने की संभावना है। पिछले वर्ष की भांति इस पुस्तक मेला में भी कलाग्राम बनाया गया है, जिसमें विभिन्न राज्यों से आए कलाकार अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन कर रहे हैं।
सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) द्वारा आयोजित होने वाले पटना पुस्तक मेले में 300 प्रकाशक भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तक मेला एक सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम है। बिहार के गौरवशाली अतीत की तरह पटना पुस्तक मेला भी बिहार की एक पहचान बन गई है।उन्होंने पुस्तक मेला अयोजनकर्ताओं से 25वां पटना पुस्तक मेला बड़े पैमाने पर लगाने की अपील की। नीतीश ने कहा, "बिहारियों का मन और मिजाज पढ़ने का होता है और ये हमेशा से उनकी पहचान रही है। असल बिहारी का मिजाज पढ़ना ज्ञान देना और ज्ञान लेना होता है, जिसका उदाहरण हाल के दिनों में बिहार ने प्रकाश पर्व, शराबबंदी और मानव श्रृंखला के जरिए लोगों को देने का काम किया है।"उन्होंने कहा कि किताब केवल पढ़ने से ही नहीं होगा, बल्कि उसके ज्ञान को अंगीकार करने की भी जरूरत है।