अवसाद, दमन, मंदी का वर्ष रहा 2016 : गुलाम नबी आजाद
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नई दिल्ली , 02 Feb 2017
नोटबंदी से लेकर जम्मू एवं कश्मीर में अस्थिरता को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कहा कि बीता वर्ष 'अवसाद, मंदी, दमन और पीछे लौटने वाला' वर्ष रहा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद ज्ञापन देते हुए आजाद ने कहा कि सरकार असफल रही है और मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान देश पीछे की ओर गया है।
जम्मू एवं कश्मीर के निवासी आजाद बीते वर्ष हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की रक्षा बलों के हाथों हुई मौत के बाद कश्मीर घाटी में उपजी अस्थिरता से अपनी बात शुरू करते हुए भावुक हो गए।उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत की बात करते हैं, लेकिन इन सारे आदर्शो ने बीते वर्ष कश्मीर की गलियों में दुखद तरीके से दम तोड़ दिया। हजारों की संख्या में लोग घायल हुए, सैकड़ों लोग अंधे हो गए और सरकार घाटी में शांति कायम करने में असफल साबित हुई।"आजाद ने कहा कि 2016 में बड़ी संख्या में संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ और किसी एक वर्ष में सर्वाधिक जवानों की मौत हुई।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, "सरकार जम्मू एवं कश्मीर में घुसपैठ रोकने में और हमारे जवानों की रक्षा करने में असफल साबित हुई। जम्मू एवं कश्मीर को देश का सिर माना जाता है और यदि सिर की ही रक्षा नहीं की जा सकी तो देश को कैसे बचाएंगे।"आजाद ने नोटबंदी को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की।उन्होंने विभिन्न रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा, "नोटबंदी के दौरान लोगों को बैंकों से सिर्फ 4,000 रुपये दिए जा रहे थे, लेकिन पिछले दरवाजों से कइयों को करोड़ों रुपये दिए गए।"उन्होंने कहा कि जिसे बहुत बड़ी उपलब्धि की तरह बताया जा रहा है, उस नोटबंदी के चलते 120 व्यक्तियों की मौत अपने ही रुपये निकालने में हो गई।
आजाद ने कहा, "नोटबंदी देश की आम जनता के लिए किसी भूत की तरह आया।"एक दिन पहले बुधवार को लोकसभा में पेश किए गए आम बजट 2017-18 की आलोचना करते हुए आजाद ने कहा, "इस बजट में रोजगार सृजन के लिए कुछ नहीं है। युवाओं को रोजगार चाहिए। रोजगार के अवसर पैदा किए बगैर देश विकास नहीं कर सकता।"