शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने नवजोत सिंह सिद्धु को कांग्रेस में शामिल होने पर खरी खरी सुनाई है। उन्होंने कहा है कि पिछले सात महीनों से लापता सिद्धु पंजाबियों को यह बताएं कि चुनाव से महज बीस दिन पहले कांग्रेस में प्रकट होकर किस मुंह से वोट मांगने आए हैं। रविवार को यहां जारी एक बयान में बादल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी छोडऩे से पहले सिद्धु का कहना था कि अकाली उन्हें पंजाब में प्रवेश नहीं करने देते। मगर अब वह बताएं कि राज्य सभा से त्याग पत्र देने के बाद उन्हें पंजाब में आने से रोक कौन रहा था। दरअसल उनकी दिलचस्पी पंजाब से ज्यादा मुंबई में पैसा कमाने में ज्यादा थी। यहां तक कि आज भी आखिरी मिनट तक बड़े मौके की सौदेबाजी के लिए उन्होंने पूरे पंजाब को अंधेरे में रखा।सिद्धु को अवसरवादी करार देते हुए बादल ने कहा कि असल में उनकी मंशा इससे भी बड़ा कुछ हासिल करने की है। इसीलिए उन्होंने अमृतसर लोकसभा चुनावों में अपने गुरू अरुण जेतली का विरोध कर उनकी पीठ में छूरा भोंक दिया था। भाजपा को इसलिए छोड़ा क्योंकि वह समझ गए थे कि पंजाब के एक विवादित नेता के रूप में उनका राजतिलक नामुमकिन था।
बादल ने कहा कि भगवंत मान की तरह सिद्धु ने भी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का सपना पाल लिया था। इसीलिए उन्होंने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों से आखिरी मिनट तक अपनी बातचीत जारी रखी। आप ने सिद्धु को तो उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश कर ही दी थी। जाहिर है राहुल गांधी की बड़ी पेशकश के बाद ही सिद्धु शामिल होने को राजी हुए हैं।उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी जल्द सिद्धु की कीमत का अंदाजा हो जाएगा। भगवंत मान की तरह ठहाके लगाने के अलावा चुनाव में उनकी कोई भूमिका नहीं है। सिद्धु को एक कामेडियन की हैसियत से भाड़े पर लिया जाता तो शायद कांग्रेस को ज्यादा फायदा हो सकता था। सिद्धु के अक्खड़ व्यवहार और अंहकार से कांग्रेस का बेड़ा मांझा में डूबना तय है। अमृतसर के तमाम कांग्रेस कार्यकर्ता उनसे नफरत करने वाले ऐसे शख्स को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे जो उन्हें बात बात पर अपमानित करता हो। बादल ने पंजाबियों को सिद्धु के पिछले रिकार्ड और आचरण को देखने के बाद ही कोई फैसला करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सिद्धु क्रिकेट पिच की तरह पलटी मारने में माहिर हैं। शिरोमणि अकाली दल भाजपा का गुणगान करने के बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी का पल्लु थामने की कोशिश की और फिर उसी कांग्रेस के साथ ही हाथ मिला लिया जिससे वह कभी बेहद नफरत किया करते थे। यूं कांग्रेस में भी उनकी पारी बहुत लंबी चलने वाली नहीं है।