Saturday, 20 April 2024

 

 

खास खबरें पंजाब को बी जे पी के अत्याचार के खिलाफ एकजुट होना होगा: राजा वड़िंग उपायुक्त ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों का जल्द से जल्द सर्वे कराएं- मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद गुरजीत सिंह औजला ने चुनाव अभियान की शुरूआत गुरुद्वारा बाबा छज्जोजी में माथा टेक कर की निजी फायदे के लिए गेहूं की बर्बादी कर रही सरकार 1 मई को सुबह 11 बजे कुरूक्षेत्र में अपना नामांकन करेंगे अभय सिंह चौटाला एलपीयू के स्कूल ऑफ लिबरल एंड क्रिएटिव आर्ट्स ने 'वन इंडिया-2024' फैस्ट की चैंपियनशिप ट्रॉफी जीती स्वास्थ्य मंत्री पंजाब ने आर्यन्स फार्मेसी सम्मेलन का उद्घाटन किया पंजाब की महिलाओं को आज भी एक-एक हजार मासिक भत्ते का इंतजार: एन.के.शर्मा सीजीसी लांडरां के एप्लाइड साइंस डिपार्टमेंट ने वर्कशॉप का आयोजन किया लोकायुक्त ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की पलवल जिले के 118 वर्ष के धर्मवीर हैं प्रदेश में सबसे बुजुर्ग मतदाता मानव को एकत्व के सूत्र में बांधता - मानव एकता दिवस श्री फ़तेहगढ़ साहिब में बोले मुख्यमंत्री भगवंत मान: रात कितनी भी लंबी हो सच का सूरज चढ़ता ही चढ़ता है, 2022 में जनता ने चढ़ाया था सच का सूरज भारी बारिश और तूफान के बावजूद भगवंत मान ने श्री फतेहगढ़ साहिब में जनसभा को किया संबोधित जुम्मे की नमाज पर मुस्लिम भाईचारे को बधाई देने पहुंचे गुरजीत सिंह औजला आवश्यक सेवाओं में तैनात व्यक्तियों को प्राप्त होगी डाक मतपत्र सुविधा: मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग शहर के 40 खेल संगठनों के प्रतिनिधियों ने की घोषणा,भाजपा प्रत्याशी संजय टंडन को दिया समर्थन भाजपा ने कांग्रेस प्रत्याशी मनीष तिवारी को 12 जून 1975 के ऐतिहासिक तथ्य याद दिलाई रयात बाहरा यूनिवर्सिटी में 'फंडिंग के लिए अनुसंधान परियोजना लिखने' पर वर्कशॉप सफेद कुर्ती में इहाना ढिल्लों का चुंबकीय अवतार सरफेस सीडर के साथ गेहूं की खेती को अपनाए किसान: कोमल मित्तल

 

दिल्ली : सबसे धनी राज्य में शिक्षकों के आधे पद खाली

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

नई दिल्ली , 15 Jan 2017

एक सरकारी स्कूल जिसे 59 शिक्षकों की जरूरत है, वहां केवल दो अस्थाई तौर पर नियुक्त किए गए शिक्षक हैं। यह कहानी किसी दूरदराज के पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र की नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की है, जो प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश का सबसे धनी राज्य है। दिल्ली भारत के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से सबसे साक्षर प्रदेश है। लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के आधे से ज्यादा पद खाली हैं। इन आंकड़ों में नगर निगम के स्कूलों का आंकड़ा शामिल नहीं है, जहां या तो सारे पद खाली हैं या फिर संविदा पर अस्थाई शिक्षक पढ़ा रहे हैं जिन्हें गेस्ट टीचर कहा जाता है। यह खुलासा दिल्ली सरकार द्वारा साल 2016 के दिसंबर में दिल्ली उच्च न्यायालय में दिए गए शपथ पत्र से हुआ है। जब तक मामला अदालत में नहीं गया तब तक यह आंकड़े आम जनता की जानकारी के लिए सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किए गए थे। यह मामला अदालत में एक अभिभावक ने दर्ज कराया था, जिसने टिन की छत वाले स्कूल में पढ़ रहे अपने बच्चे के लिए अधिक शिक्षक और बेहतर बुनियादी सुविधाओं की मांग की है। 

दिल्ली में जहां सातवीं कक्षा के आधे छात्रों को पढ़ना तक नहीं आता। वहीं, इन गरीब छात्रों को अस्थायी और (संभवत: बिना किसी प्रेरणा के काम करने वाले) शिक्षकों के भरोसे शिक्षा दी जा रही है, जिन्हें अपने स्थायी समकक्ष के आधे से भी कम तनख्वाह मिलती है, जिसमें रोजगार की सुरक्षा और अन्य लाभ शामिल नहीं है। दिल्ली के सरकारी स्कूल उन शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं जिन्हें नियमित शिक्षकों का करीब 42 फीसदी वेतन ही प्राप्त होता है, साथ ही नौकरी से जुड़े कोई भी अन्य लाभ नहीं मिलता है, जैसे पेंशन या छुट्टियों के दिन मिलने वाली तनख्वाह। यहां तक कि अगर वे बीमार होने के कारण काम पर नहीं जा सकते तो उन्हें उस दिन की तनख्वाह तक नहीं मिलती और नौकरी सुरक्षा का तो सवाल ही नहीं। ऐसे में ये ठेका पर काम करने वाले शिक्षक अपने काम के प्रति कितना प्रेरित होंगे, समझा जा सकता है। बेहद कम भुगतान पर रखे गए शिक्षकों पर निर्भरता के कारण ही शायद दिल्ली की साक्षरता दर 86 फीसदी होने के बावजूद यहां के छात्रों के वास्तविक सीखने की दर बेहद खराब है। दिल्ली में छठी कक्षा के कुल छात्रों में से आधे करीब दो लाख छात्र पढ़ना तक नहीं जानते हैं। यह जानकारी 2016 के जून महीने में किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण से मिली है जिसकी रिपोर्ट हिन्दुस्तान टाइम्स ने प्रकाशित की थी। 

प्रथम नाम की गैरसरकारी संस्था ने भी दिल्ली के 272 वार्ड में से केवल एक के आधार एक बेंचमार्क एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसइआर) प्रकाशित की है। इसकी 2014 की रिपोर्ट सरकारी रिपोर्ट से मिलती है। इंडियास्पेंड की 12 दिसंबर 2016 की रिपोर्ट में बताया गया था कि केवल दिल्ली के बच्चों में शिक्षा का बेहद कम स्तर होना अजूबा नहीं है। क्योंकि भारत के सरकारी स्कूलों में जो सबसे गरीब घरों के बच्चों को शिक्षा देते हैं, देश के आधे से ज्यादा करीब 26 करोड़ बच्चों को शिक्षा मुहैया कराते हैं, वहां शिक्षक का हर छह में एक पद खाली है। दिल्ली जैसा सबसे धनी राज्य भी अगर स्कूली शिक्षा प्रणाली में सुधार कर पाने में नाकाम है तो देश के गरीब राज्यों की हालत समझी जा सकती है। दिल्ली में शिक्षकों की कमी का कारण समझने के लिए इंडियास्पेंड ने दिल्ली सरकार द्वारा की जानेवाली शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया का शुरू से अंत तक निरीक्षण किया। इसमें पाया गया कि इस कमी का कारण सरकार का प्रति छात्र कम रकम खर्च करना ही नहीं है जो कि वित्त वर्ष 2014-15 में 3,852 रुपये था, जबकि राष्ट्रीय औसत 11,252 रुपये है, जिससे यह 66 फीसदी कम है। इससे कहीं ज्यादा इसके लिए पेचीदा, पुराना और अतार्किक भर्ती प्रक्रिया जिम्मेदार है।

दिल्ली सबआर्डिनेट सर्विसेज सलेक्शन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ही राज्य में शिक्षकों की बहाली करती है। इसके साथ ही यह पटवारी, नर्स, मलेरिया और खाद्य निरीक्षकों की भी बहाली करती है। इसका मतलब यह है कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग और बोर्ड के बीच बहाली को लेकर इतने तामझाम हैं कि मामला फंस जाता है। 

सात साल पहले 2010 में दिल्ली नगर निगम स्कूलों के लिए बोर्ड ने स्थायी सहायक शिक्षकों के पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। इसका एक कारण तो यही है कि इसी भर्ती बोर्ड द्वारा उन्हीं शिक्षकों की अन्य अलग-अलग पदों पर भी बहाली कर ली गई है। एक के बाद एक सरकारों ने जिसमें वर्तमान आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार भी शामिल है, ने अपने एजेंडे में बेहतर सार्वजनिक शिक्षा को भी रखा है, लेकिन लालफीताशाही को हटाने या प्रणाली में सुधार कर पाने में नाकाम साबित हुई है। जबकि तथ्य यह है कि भर्ती बोर्ड और स्कूल दोनों ही दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। नतीजा यह है कि अस्थायी शिक्षक और घटिया नतीजे हासिल हो रहे हैं। यह जाना माना तथ्य है कि शिक्षा के लिए अच्छे शिक्षकों की भर्ती और उनके मन में अपने काम को गंभीरता से लेना महत्वपूर्ण है। लेकिन शिक्षकों की कमी का सीधा असर नतीजों पर होता है। दिल्ली सरकार की अनुभवी स्कूल शिक्षिका कपिला पराशर भी इस तथ्य से सहमति जताती हैं जो दिल्ली के स्कूलों के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा शुरू किए गए संरक्षण योजना की भागीदार हैं। 

पराशर का कहना है, "कई बार कई विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं होते हैं, ऐसे में कई क्लासों को एक साथ जोड़ दिया जाता है और एक बहुत बड़ी क्लास बन जाती है। इसका मतलब यह भी है कि छात्र उस विषय को उस शिक्षक से सीख रहे होते हैं जिसकी उसमें प्रवीणता नहीं है।"दिल्ली सरकार ने पिछले महीने उच्च न्यायालय में बाल अधिकार कार्यकर्ता और वकील अशोक अग्रवाल द्वारा दायर किए गए एक मामले में स्वीकार किया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों के कुल 59,409 पद हैं, लेकिन केवल 33,569 स्थायी शिक्षक हैं (56 फीसदी)। यद्यपि दिल्ली में कुल 25,000 शिक्षकों के पद खाली हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने केवल 7,646 पदों के खाली होने पर सहमति जताई। क्योंकि इसने 15,402 पदों पर अतिथि शिक्षक और 2,792 पदों पर ठेके पर शिक्षकों को रखा है। ठेके पर रखे गए शिक्षकों को एक साल के अनुबंध पर केंद्र के सर्व शिक्षा अभियान के तहत रखा जाता है, जिसके वेतन का 75 फीसदी केंद्र और 25 फीसदी राज्य सरकार देती है। जबकि अतिथि शिक्षकों को राज्य सरकार ठेके पर रखती है और उनको दैनिक मजदूरी का भुगतान किया जाता है। 

एक अस्थाई शिक्षक 15,000 से 20,000 रुपये प्रति महीने तक कमा पाता है। लेकिन अगर उस महीने छुट्टियां पड़ गई तो उसकी कमाई घट जाती है। यहां तक कि अगर वह बीमार पड़ जाए तो भी उसकी कमाई घट जाती है। जबकि एक स्थायी शिक्षक को 40,000 से 60,000 रुपये प्रति महीना वेतन मिलता है। साथ ही जो स्थायी शिक्षक ऊंची कक्षाओं को पढ़ाते हैं उनका वेतन और भी ज्यादा होता है। तो फिर स्थायी शिक्षकों के पद भरे क्यों नहीं जा रहे। तो जबाव यही है कि भर्ती की केंद्रीकृत अतार्किक प्रक्रिया ही इसका जिम्मेदार है जो सरकार और नगर निगम दोनों स्कूलों के लिए बहाली करती है। यही कारण है जो अभिभावक थोड़ा भी सक्षम है वह अपने बच्चों को किसी सरकारी स्कूल की बजाए निजी स्कूल में ही डालते हैं। 

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये इंडियास्पेंड के निजी विचार हैं)

 

Tags: KHAS KHABAR

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD