नोटबंदी के बाद बैंकों में 30 दिसम्बर की समयसीमा तक वापस लौटी रकम के बारे में मीडिया रिपोर्टो पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को कहा कि ऐसे अनुमान गलत भी हो सकते हैं। आरबीआई ने कहा विभिन्न करेंसी चेस्ट द्वारा की गई इंट्री को वास्तविक रूप से मौजूद नकदी के साथ मिलाने की आवश्यकता है ताकि एकाउंटिंग की गलतियों और दुबारा गिनती से बचा जा सके। आरबीआई ने एक बयान में कहा, "हमारे द्वारा समय-समय पर एसबीएन (स्पेसिफाइड बैंक नोट्स) के आंकड़े जारी किए जाते हैं, जोकि देशभर के बड़ी संख्या में चेस्ट में की गई इंट्री के एकीकरण पर आधारित होते हैं।"
इसमें कहा गया है, "30 दिसम्बर 2016 को पुराने नोट जमा कराने की समयसीमा बीत चुकी है। अब इन चेस्ट से मिले आंकड़ों को वास्तवतिक कैश बैलेंस के साथ मिलाने की जरूरत है, ताकि एकाउंटिंग की गलतियों या दोबारा गिनती से बचा जा सके, जिसकी काफी अधिक संभावना है।"इसमें कहा गया कि आरबीआई नोटबंदी के बाद के आंकड़ों की सही तस्वीर बताने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है, ताकि जल्द से जल्द सही आंकड़े जारी हो सकें।