पूर्व केंद्रीय सचिव ई.ए.एस. सरमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि वे क्रेडिट और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल के लिए लोगों पर दबाव नहीं डालें, क्योंकि इनसे किए जाने वाले प्रत्येक हस्तांतरण पर शुल्क के रूप उनकी मेहनत की कमाई का कुछ अंश काट लिया जाता है। प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में सरमा ने कहा कि हैकिंग के खतरे को जानते हुए वित्त मंत्री को बगैर एहतियाती कदम उठाए डेबिट और क्रेडिट कार्ड अपनाने के लिए लोगों पर दबाव नहीं डालना चाहिए।सरमा ने लिखा, "नकद रहित अर्थव्यवस्था लोगों की आवश्यकता के अनुरूप विकसित होगी और होनी चाहिए, लेकिन सरकार को लोगों को प्लास्टिक कार्ड की दुनिया में नहीं धकेलना चाहिए, जिसमें प्रत्येक हस्तांतरण पर उनकी गाढ़ी कमाई का कुछ अंश निजी कंपनियों की जेब में चला जाएगा, जो इस तरह के हस्तान्तरण से लाभ कमाती हैं।"
गत माह नोटबंदी की घोषणा के बाद से नौकरशाह द्वारा मोदी को लिखे गए पत्रों की एक श्रृंखला में यह सबसे ताजा पत्र है।लोकतांत्रिक सुधार के लिए संघर्ष कर रहे सरमा ने निराशा जाहिर की कि नोटबंदी के साथ आवश्यक सुधार की शुरुआत नहीं की गई और केद्रीय जांच एजेंसियां कालाधन रखने वाली बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाल रहीं हैं।अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी ने कहा कि यद्यपि अमान्य घोषित उच्च मूल्य के नोटों को अनाधिकृत रूप से बदलवाने में भाजपा के कुछ विधायकों के नामों का भी मीडिया रपटों में उल्लेख किया गया है, लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि कोई केंद्रीय जांच एजेंसी इस तरह के मामलों की जांच कर रही है।उन्होंने कहा, "अगर उन उच्चस्तरीय मामलों की जांच नहीं की जाती है और दोषियों पर मुकदमा नहीं दर्ज किया जाता है, चाहे वह कितना भी बड़ा व ताकतवर क्यों न हो, तो नकदी की कमी की जारी समस्या शीघ्र ही लोगों के विश्वास की समस्या का रूप ले लेगी।"