पाकिस्तान की शीर्ष विदेश नीति प्रमुख सरताज अजीज ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के साथ शांति वार्ता करने के लिए प्रयासरत है। अखबार 'द नेशन' ने अजीज के हवाले से कहा है, "यह निराशाजनक है कि अफगानिस्तान में कुछ तत्व नहीं चाहते कि पाकिस्तान के साथ बातचीत की प्रक्रिया चले और ये तत्व पाकिस्तान की भूमिका को लेकर संदेह उत्पन्न कर रहे हैं।" विदेश मामलों पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार ने अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी पर तालिबान और अफगानिस्तान सरकार में बातचीत में बाधा पहुंचाने का दोष मढ़ा। अजीज ने कहा कि तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत का दूसरा सत्र तब रद्द हो गया, जब राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ने तालिबान के पूर्व प्रमुख मुल्ला उमर की मौत से जुड़ी रिपोर्ट जारी की।
उन्होंने कहा कि जब मुल्ला उमर का उत्तराधिकारी मुल्ला अख्तर मंसूर बलूचिस्तान में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया, उसके बाद से द्विपक्षीय बातचीत का दरवाजा तब और बंद हो गया। अजीज ने कहा, पाकिस्तान बातचीत की प्रक्रिया के लिए प्रयासरत है, लेकिन अफगानिस्तान के नेताओं की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ निंदनीय बयान माहौल पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद अंतर्राष्ट्रीय सुरक्ष बलों की बड़े पैमाने पर वापसी और सशस्त्र विद्रोहियों के अभियानों में हुई बढ़ोतरी से अफगानिस्तान में हालात और खराब हुए हैं। अजीज ने कहा कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के अशरफ गनी के हाल में भारत के अमृतसर में संपन्न 'हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन' की टिप्पणी अफगानिस्तान में बढ़ती निराशा का संकेत है।
तालिबान का समर्थन करने का पाकिस्तान पर आरोप लगाना गलत है। सलाहकार ने कहा कि अभी जारी जर्ब-ए-अज्ब ने कबायली इलाकों में हक्कानी नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है और अब यह पाकिस्तान की धरती से संचालित नहीं होता। हालांकि उन्होंने कहा कि देश में इक्का-दुक्का चरमपंथियों की मौजूदगी के बारे में भी अनदेखी नहीं की जा सकती।अजीज ने कहा कि इस तरह के तत्व दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया में बाधा पैदा कर रहे हैं, इसलिए हमने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से हार्ट ऑफ एशिया कान्फ्रेंस में कहा कि वे पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करने का प्रयास करें।