मणिपुर में 30 अक्टूबर से ही जारी हड़तालों और सड़क जाम से सामान्य जनजीवन रविवार को भी बुरी तरह प्रभावित रहा। जरूरत के सामान या तो कम हैं या बहुत महंगे दामों पर उपलब्ध हैं। राज्य सरकार इन हड़तालों की वजह से नगालैंड-मणिपुर राज मार्ग पर खड़े सामान से लदे 1500 से अधिक ट्रकों और तेल टैंकरों पूरी तरह से सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम है। इन वाहनों के चालक और उनके सहायक जो इन ट्रकों पर सवार हैं, वे भुखमरी और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस हफ्ते तीन जीपों में सवार पुलिस अपनी सुरक्षा में ट्रकों को सुरक्षित लेकर चलने के लिए मुहैया कराई गई लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग दो पर फंसे ट्रक चालकों ने उनके साथ चलने से इनकार कर दिया।
ट्रक चालक राकेश ताओरेम ने कहा कि उनके ट्रकों की चाबियां यूनाईडेड नगा काउंसिल के कार्यकर्ता छीन ले गए हैं। मुठ्ठीभर पुलिसकर्मी हमें सुरक्षा नहीं मुहैया करा सकते क्योंकि फंसे हुए वाहनों की संख्या 1500 से अधिक है। पहले प्रदर्शनकारी रास्ते पर वाहनों को तोड़कर आग लगा चुके हैं। सरकार को हमें सही अर्थो में रक्षा मुहैया करानी चाहिए। कुछ पेट्रोल पंप जो अब तक चल रहे थे वे रविवार को बंद हो गए। सड़कों के किनारे जो ईंधन कालाबाजारी करते हुए बेच रहे हैं वे जम कर पैसा कमा रहे हैं। खाना पकाने की गैस उपलब्ध है लेकिन कालाबाजारी में बहुत अधिक मूल्य पर मिल रहा है। उपभोक्ता वस्तुओं का मूल्य भी बहुत अधिक बढ़ गया है। मांस और मछली जो दूसरे राज्यों से आता है उसकी आपूर्ति कम हो गई है।