ओलम्पिक में हिस्सा ले चुके देश के अग्रणी मुक्केबाज शिव थापा का कहना है कि ओलम्पिक खेलों में अगर पदक जीतना है, तो किसी भी खिलाड़ी के पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुभव का होना जरूरी है। थापा ने आईएएनस को दिए साक्षात्कार में कहा, "आप बाहर जाकर कितना भी प्रशिक्षण ले लें, जब तक आपको अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलेगा, अनुभव में कमी रहेगी। हमें ओलम्पिक में जाकर अच्छा प्रदर्शन करना है तो खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का अनुभव प्रदान करना होगा।"थापा ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर ही खिलाड़ी अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन कर उसमें सुधार कर सकते हैं। इन छोटी-छोटी चीजों पर हमें ध्यान देना चाहिए।"
कजाकिस्तान के अस्ताना में 2012 में हुए एशियन ओलम्पिक क्वालिफायर में स्वर्ण पदक जीतने वाले थापा ने टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी के बारे में कहा, "मुक्केबाजी हर बार ओलम्पिक खेलों में एक अलग स्तर पर खेला जा रहा है। लंदन ओलम्पिक में हेड गार्डस थे, लेकिन इस बार हेड गार्ड्स का इस्तेमाल हटा दिया गया और ऐसा भी हो सकता है कि अगले ओलम्पिक में पेशेवर मुक्केबाजी को भी शामिल कर लिया जाए। इसलिए, इस खेल का स्तर बढ़ रहा है।
"थापा ने कहा कि ऐसे में मुक्केबाजों को अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ (आईबा) की ओर से दिए गए निर्देशों के तहत प्रशिक्षण लेना होगा और उसी प्रकार से खेल में ढलना होगा।
रियो ओलम्पिक में अपने पहले ही मुकाबले में मौजूदा विजेता और क्यूबा के रोमीसे रमीरेज से हारकर बाहर होने वाले थापा ने कहा कि उन्हें इस ओलम्पिक से काफी कुछ सीखने को मिला और वह अपने इस अनुभव का इस्तेमाल टोक्यो ओलम्पिक-2020 की तैयारियों में करेंगे।सरकार से मिलने वाले समर्थन के बारे में गुवाहाटी के निवासी थापा ने कहा, "सरकार ने ओलम्पिक के लिए जो योजनाएं शुरू की थीं, उससे खिलाड़ियों को फायदा हुआ है। मैं प्रशिक्षण के लिए दो तीन दौरों पर भी गया। जहां तक प्रतियोगिता का सवाल है, हमें बहुत कम प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का मौका मिला।"थापा ने कहा, "रियो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद मैंने चार-पांच माह तक किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया और सीधे ओलम्पिक में प्रवेश किया। यह मेरे और अन्य खिलाड़ियों के लिए काफी नुकसानदेह रहा है।"
इसी साल दक्षिण एशियाई खेलों में 56 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाले मुक्केबाज थापा ने कहा, "ओलम्पिक से एक या डेढ़ साल पहले जिस प्रकार की तैयारियां की जाती है, उन्हें चार साल पहले ही शुरू कर देना चाहिए। अगर हम अभी से ही टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी शुरू कर दें, तभी हम चार साल बाद पदक की आशा कर सकते हैं।"भारत में खेल सुविधाओं के बारे में थापा ने कहा, "विदेशी खिलाड़ियों को जिस प्रकार का समर्थन मिलता है, वह हमारे मुकाबले बहुत बेहतर और अलग स्तर पर है। इंग्लैंड में प्रशिक्षण के दौरान मैंने वहां की सुविधाओं और योजनाओं को देखा, तो मुझे इस बात का अहसास हुआ कि भारत में अब भी बहुत सी चीजों की कमी है और इसमें सुधार होना चाहिए।"