सैन्यकर्मियों के दर्जे की उनके असैनिक समकक्षों के दर्जे से समतुल्यता के ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को यह स्पष्ट करते हुए मीडिया में आई खबरों को भ्रामक बताया। मीडिया की खबरों का खंडन करते हुए मंत्रालय ने यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि सरकार ने सिविल के उनके समकक्ष अधिकारियों की तुलना में सैन्य अधिकारियों का स्तर कम करने के बारे में सशस्त्र सेना मुख्यालय में कोई आदेश जारी नहीं किया है। मंत्रालय ने इसके साथ ही जोर देकर कहा कि इस तरह का कोई कदम भी नहीं उठाया गया है। बयान में कहा गया है, "सेना के मौजूदा रैंक की जो भी समतुल्यता है उसमें कोई कमी नहीं की गई है। वर्ष 1991 और फिर वर्ष 2000, 2004 और 2005 में केवल उनकी फिर से पुष्टि की गई है।" विज्ञप्ति के अनुसार, "मीडिया में आई खबरों में मंत्रालय के 18 अक्टूबर के एक परिपत्र के हवाले से गलत ढंग से कहा गया है कि समतुल्यला से छेड़छाड़ की गई है और सेना के अधिकारियों की रैंक को कम कर दिया गया है।"
इसे और स्पष्ट किया गया है कि मौजूदा रैंक समतुल्यता के बारे में फिर से चर्चा केवल दायित्व सौंपने और काम की जिम्मेदारियां देने के मामलों के संदर्भ में है जो पहले से ही सेना, नौसेना और वायुसेना के उन संबंधित मुख्यालयों पर लागू है जहां सैन्य कर्मी और सिविल सेवा के अधिकारी दोनों हैं। इसें यह भी कहा गया है कि उसका सैन्य मुख्यालय के बाहर के अधिकारियों से कोई संबंध नहीं है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवर को आश्वस्त किया था मंत्रालय इसकी जांच करेगा कि क्या सैन्य अधिकारियों की रैंक उनके सिविल के अधिकारियों की तुलना में बदला गया है? यदि इस तरह की कोई विसंगति पाई जाएगी तो उसे एक हफ्ते के अंदर सुधार दिया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय से 18 अक्टूबर को जारी परिपत्र के अनुसार, सेना में मेजर जनरल और उसके बराबर स्तर के अधिकारी नौसेना में रियर एडमिरल और वायुसेना में एयर वाइस मार्शल का पद एएफएचक्यू में सिविल सेवा के रैंक प्रधान निदेशक के बराबर होगा। सेना में एक ब्रिगेडियर और उसके बराबर नौसेना में कोमोडोर और वायुसेना में एयर कोमोडोर एक निदेशक के बराबर होंगे। सेना में कर्नल, नौसेना में कैप्टन और वायुसेना में ग्रुप कैप्टन सिविल सेवा के संयुक्त निदेशक के बराबर होंगे। इससे पहले कर्नल निदेशक के, ब्रिगेडियर उपमहानिदेशक के और एक मेजर जनरल को संयुक्त सचिव के बराबर माना जाता था। पर्रिकर ने कहा कि वर्गीकरण उनके स्तर को नहीं बल्कि उनके काम की जिम्मेदारियों से जुड़ा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस पर अध्ययन किया जा रहा है।