पूर्वाचल में इंसेफ्लाइटिस का कहर जारी है। इधर कुछ दिनों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 16 नए मरीजों की भर्ती हुई है तो वहीं 24 घंटे में तीन मरीजों की मौत की खबर है। मरने वाले लोगों में महाराजगंज, देवरिया और सीवान के मरीज थे। नेहरू अस्पताल में करीब 106 मरीजों का इलाज जारी है। आकंड़ों के मुताबिक, जनवरी से अब तक 1379 मरीज भर्ती किए गए हैं, जिसमें से अब तक 356 मरीजों की मौत हो चुकी है। मरीजों की तादाद लगातार बढ़ने के बावजूद बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इंसेफ्लाइटिस वार्ड में व्याप्त अव्यवस्था से स्थिति बेहद गंभीर है। सरकारी आकंड़े बताते हैं कि हर साल पांच-छह सौ बच्चे इस बीमारी से मरते हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही बयान करती है।
इस बीमारी से लकवाग्रस्त हुए लोगों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।गौरतलब है कि इंसेफ्लाइटिस के सबसे ज्यादा शिकार 3 से 15 साल के बीच के बच्चे होते हैं। साथ ही यह बीमारी जुलाई से दिसंबर के बीच ज्यादा फैलती है। डॉक्टरों की मानें तो जितने लोग इंसेफ्लाइटिस से ग्रसित होते हैं, उनमें से केवल 10 प्रतिशत में ही दिमागी बुखार के लक्षण- जैसे झटके आना, बेहोशी व कोमा जैसी स्थिति देखने को मिलती है। लगभग 50 से 60 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। बाकी बचे हुए मरीजों में से लगभग आधे लोगों को लकवा हो जाता है या उनके आंख और कान ठीक से काम नहीं करते हैं।