पूर्व सांसद व पंजाब लोक हित अभियान के कनवीनर जगमीत सिंह बराड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की टिप्पणी की हंसी उड़ाई है, जिन्होंने नवजोत सिद्धू व बराड़ की एक गैर अनुशासित के रूप में ङ्क्षनदा की थी। उन्होंने सवाल किया है कि छज्ज तां बोले, छाननी क्यों बोले? इसके अलावा, अमरेन्द्र प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष बनने से पहले अपनी गतिविधियों व निराशा बारे यादाश्त खोते जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि कैप्टन का अपना भी गैर अनुशासित रिकॉर्ड है। जिन्होंने भ_ल, केपी, दूलो व बाजवा तक किसी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को सही तरीके से काम नहीं करने दिया था। उन्होंने 2007 व 2012 में कांगे्रस को बुरी तरह से तबाह कर दिया था और सरेआम नेशनल टी.वी चैनल पर बरसते हुए कहा था कि यदि बाजवा को हटाया न गया, तो वह अपनी पार्टी बना लेंगे और फिर वह सोनिया गांधी के रिटायर होने का इंतजार करने लगे, चाहे वह खुद सोनिया से ज्यादा बजुर्ग हैं। यदि यह अनुशासन की परिभाषा है, तो उन्हें पूरी तरह से जांच की जरूरत है।
बराड़ ने कांग्रेस द्वारा ताजा समय में की गल्तियों की भी ङ्क्षनदा की है। उन्होंने कहा कि अमरेन्द्र के गुंडे विधायकों ने वर्कर को स्टेज पर थप्पड़ मारा था, उनकी पूर्व महिला सांसद की बेइज्जत की थी, एक अन्य पूर्व सांसद को स्टेज से उतारा था। जिन्होंने हाल ही में सरेआम मौजूदा सांसद व अपने विपक्ष के नेता की बेइज्जती करते हुए एक अकाली मित्र हंसराज हंस को खरीदा था। अमरेन्द्र को दूसरों को सलाह देने से पहले अपनी अंदर झांकना चाहिए।बराड़ अमरेन्द्र की निराशा पर भी बरसे हैं। उन्होंने कहा कि बादलों द्वारा अमरेन्द्र को केसों में बरी करने के बावजूद राहुल गांधी उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं ऐलान रहे हैं। बाजवा व नवजोत उनकी टांगें खींच रहे हैं और केजरीवाल व आप उनको और नुक्सान पहुंचा रहे हैं। उन्हें अमरेन्द्र की गतिविधियों पर इसका प्रभाव देखकर अब डर लगा रहा है।आखिर में बराड़ ने अपने पुराने बयानों को स्पष्ट करते हुए व कांग्रेस से अपने रास्ते अलग करते हुए कहा कि वह लोगों के प्रतिनिधि हैं, न कि राजों की अदालतों के, जहां आपको हां में हां मिलाने व पाकिस्तानी मेहमानों के लिए दावत देने का फायदा मिलता है। उन्होंने कभी भी अपने सिद्धान्तों के साथ समझौता नहीं किया है और वह अमरेन्द्र के साथ सहमत हैं कि वह कभी भी दालातों व नौकरों के समूह में फिट नहीं बैठते। यहां तक कि नवजोत को भी पटियाले के चोर की अदालत का हिस्सा बनने से पहले दो बार सोचना चाहिए।