नवजोत सिंह सिद्धू ने अंतत: सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए गुरुवार को नए राजनीतिक मोर्चा 'आवाज-ए-पंजाब' के गठन की घोषणा करने के साथ ही कहा कि केजरीवाल उन्हें चुनाव लड़वाना नहीं, बल्कि उनसे केवल चुनाव प्रचार कराना चाहते थे। आम आदमी पार्टी (आप) के साथ बातचीत के संबंध में सिद्धू ने बताया कि आप के शीर्ष नेतृत्व, खासकर अरविंद केजरीवाल ने पार्टी में उनकी भूमिका पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया था।सिद्धू ने कहा, "वे मुझे एक और शोपीस भर बनाना चाहते थे। केजरीवाल ने मुझसे चुनाव न लड़ने और सिर्फ पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए कहा। मेरी पत्नी को मंत्री बनाने का वादा जरूर किया गया था।"
सिद्धू ने कहा कि उनकी लड़ाई व्यवस्था और पंजाब को 'बर्बाद' करने वाले नेताओं के खिलाफ होगी।क्रिकेट से राजनीति में आए सिद्धू ने कहा कि उन्होंने यह नया राजनीतिक मोर्चा पंजाब की जनता और पंजाबियत की जीत सुनिश्चित करने के लिए की है और उनका दल अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य के सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगा।सिद्धू ने कहा, "हमारा नारा होगा 'इस बार पंजाब की जीत होगी', 'पंजाबियत की जीत होगी'। हमारी लड़ाई व्यवस्था के खिलाफ है, जिसने पंजाब को बर्बाद कर दिया। कुछ स्वार्थी लोगों के हित में पंजाब के हित को कुचल दिया गया। पंजाब के लोग सत्ता परिवर्तन चाहते हैं।"
भाजपा से राज्यसभा सांसद रह चुके सिद्धू ने कहा कि उनके इस नए दल को भविष्य के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने में 15-20 दिन लगेंगे। उन्होंने कहा, "अभी आवाज-ए-पंजाबियत कोई राजनीतिक दल नहीं है। यह सुशासन के लिए एक मंच है।"सिद्धू ने पहली बार दो सितंबर को सोशल नेटवर्क पर नए राजनीतिक मोर्चा की बात कही थी।नए राजनीतिक मोर्चा की घोषणा के दौरान सिद्धू के साथ पूर्व हॉकी खिलाड़ी एवं पंजाब में सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल के विधायक परगट सिंह, और दो निर्दलीय विधायक बलविंदर सिंह बैंस और सिमरजीत सिंह बैंस भी मौजूद थे।परगट सिंह को पिछले महीने 'पार्टी-विरोधी' गतिविधियों के आरोप में अकाली दल ने निलंबित कर दिया था, वहीं सिद्धू ने 18 जुलाई को राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उनके आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं।
तीन वर्ष पहले अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व से नाराज होकर पार्टी छोड़ने वाले बैंस भाइयों की लुधियाना में अच्छी राजनीतिक पकड़ मानी जाती है।सिद्धू ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा से इसलिए इस्तीफा दिया, क्योंकि उन्हें दो विकल्प दिए गए- या तो वह बादल परिवार का समर्थन करें और उनके लिए चुनाव प्रचार करें या पंजाब से दूर रहें।सिद्धू ने कहा, "मैंने दोनों ही शर्ते मानने से इनकार कर दिया और इसीलिए इस्तीफा दे दिया।"उन्होंने कहा, "मुझे एक चीज स्पष्ट करने दीजिए। राज्यसभा से मेरे इस्तीफे का आप से कोई लेना-देना नहीं है। यह पूरी तरह मेरा फैसला था, क्योंकि मैं पंजाब के लिए काम करना चाहता था।"
राजनीतिक कैरियर नाकाम करने के प्रयास के लिए सिद्धू ने पंजाब में सत्तारूढ़ बादल परिवार खासकर उप मुख्यमंत्री व शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को आड़े हाथ लिया।उन्होंने पंजाब के संबंध में बादल परिवार की तुलना 'काले बादल' से की और कहा कि राज्य में जल्द ही एक नया सवेरा आएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल दो आंखों वाले धृतराष्ट्र हैं।सिद्धू ने कहा कि बादल व कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और उन्होंने पंजाब को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया। परगट सिंह ने कहा कि बादल व उनकी पार्टी बाहुबल व पैसे के बल पर पंजाब पर शासन कर रही है।