सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार से राज्य में डांस बार को विनियमित करने के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने के लिए दायर याचिका पर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी. नागप्पन की खंडपीठ ने राज्य सरकार की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें मांग की गई थी कि याचिकाकर्ता भारतीय होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन (आईएचआरए) को सीधे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बजाए बंबई उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया जाए। याचिकाकर्ता आईएचआरए ने होटल, रेस्टोरेंट और बार रूम्स और महिला (वहां काम करनेवाली) की गरिमा संरक्षण अधिनियम, 2016 और उसके कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी है।
आईएचआरए की याचिका पर जवाब देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को आठ हफ्ते का समय दिया गया है। वहीं अदालत ने डांस क्षेत्र में शराब पर रोक लगाने और डांस क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाने को अनिवार्य बनाने से अंतरिम राहत की मांग पर जबाव देने के लिए दो हफ्तों का समय दिया है। खंडपीठ ने इससे जुड़े दो मामलों की सुनवाई 21 सितंबर को करने का निर्देश देते हुए कहा कि दोनों प्रावधान उसके 2014 के फैसले, जिसमें केवल प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरा लगाने को कहा गया था, के विपरीत है। याचिकाकर्ता आईएचआरए की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने अदालत को बताया कि 'अश्लील डांस' की परिभाषा काफी अस्पष्ट है, इसलिए इसका दुरुपयोग हो सकता है।