Friday, 19 April 2024

 

 

खास खबरें एलपीयू के वार्षिक 'वन इंडिया-2024' कल्चरल फेस्टिवल में दिखा भारतीय संस्कृति का शानदार प्रदर्शन पंचकूला के डी.सी. पद से हटाए जाने बावजूद सुशील सारवान जिले में ही तैनात रवनीत बिट्टू के विपरीत, कांग्रेस ने हमेशा बेअंत सिंह जी की विरासत का सम्मान किया है: अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग कुंवर विजय प्रताप के भाषण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और जांच होनी चाहिए: बाजवा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने दिल्ली फतेह दिवस समारोह के लिए निहंग सिंह प्रमुख बाबा बलबीर सिंह को सौंपा निमंत्रण पत्र इंसानी साहस और सच का तानाबाना हैं पुरबाशा घोष की बुक 'एनाटोमी ऑफ़ ए हाफ ट्रुथ' इनेलो ने 28 वर्षीय मजहबी सिख बाल्मिकी समुदाय से युवा सरदार गुरप्रीत सिंह को बनाया अंबाला लोकसभा से उम्मीदवार मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मिशन 13-0' नाम के एक कार्यक्रम में पंजाब के अपने 13 लोकसभा उम्मीदवारों का परिचय दिया भगवंत मान ने पंजाब की जनता से आप के सभी 13 लोकसभा उम्मीदवारों का करवाया परिचय कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों का नहीं कोई किरदार : एन.के.शर्मा 15,000 रुपए रिश्वत लेता ए. एस. आई. विजीलैंस ब्यूरो द्वारा रंगे हाथों काबू पंजाब कांग्रेस ने संगरूर से चुनाव अभियान की शुरुआत की सितारों से भरी एक शाम:सतिंदर सरताज, नीरू बाजवा, देबी मखसुसपुरी, बंटी बैंस और अन्य सितारों के साथ हुआ फिल्म 'शायर' का प्रीमियर! गुजरात के भरुच में भगवंत मान की 'जन आशीर्वाद यात्रा' में उमड़ा जनसैलाब, कहा-भरूच में आप की सुनामी है भाजपा प्रदेश कार्यालय में हुई सभी जिला प्रभारियों, अध्यक्षों, महामंत्रियों,मोर्चा व मंडल अध्यक्ष एवं महामंत्रियों की बैठक श्री हरिमंदिर साहिब और श्री दुर्गियाना मंदिर में नतमस्तक हुए गुरजीत सिंह औजला भगवान राम की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक : एन.के.शर्मा सभी मुश्किलों के बीच भारत आज असंभव कार्यों को भी संभव बना रहा है : डॉ. राजीव बिंदल एकजुटता से एन.के.शर्मा के लिए प्रचार करें सभी हलका इंचार्ज : सुखबीर सिंह बादल बचपन में वेटरिनेरियन बनना चाहती थी नरगिस फाखरी PEC हमेशा से जसपाल जी की दूसरी मां थीं'': सविता भट्टी

 

मध्यप्रदेश के छोटे चुनाव में भाजपा की बड़ी हार

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

भोपाल , 18 Jul 2016

मध्यप्रदेश में तीन स्थानीय निकायोंमें हुए चुनाव के नतीजे राजनीतिक तौर पर ज्यादा अहमियत भले न रखते हों, मगर इन नतीजों ने एक नई बहस को जन्म जरूर दे दिया है, क्योंकि तीनों ही स्थानों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। सत्तारूढ़ पार्टी की यह हार बड़ी इसलिए मानी जा रही है, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कई मंत्रियों की सक्रियता सफल नहीं हो पाई। भाजपा के राज्य की सत्ता में आए 12 वर्ष का गुजर चुके हैं और संभवत: यह पहला मौका है, जब एक से ज्यादा स्थान पर हुए किसी भी चुनाव में भाजपा के हाथ खाली रहे हों। सोमवार को सतना जिले की मैहर, रायसेन की मंडीदीप और अशोकनगर की ईसागढ़ के निकाय के चुनाव के नतीजे आए और इन चुनाव में भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी है। भाजपा के पार्षद भी कांग्रेस के मुकाबले कम जीते। वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर का मानना है कि यह चुनाव छोटे जरूर थे, मगर इससे इतना तो साफ हो ही जाता है कि जमीनी हकीकत बदल रही है और भाजपा की पकड़ ढीली पड़ रही है। 

इन नतीजों से आगामी विधानसभा चुनाव को तो नहीं जोड़ा जा सकता, मगर राजधानी के पास के मंडीदीप में हारना भाजपा की पकड़ को ढीली पड़ने की ओर इशारा तो करता ही है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है कि यह चुनाव छोटे जरूर हैं, मगर इस जीत से पार्टी कार्यकर्ताओं को ऊर्जा मिलेगी, उनका उत्साह तो बढ़ा ही है। उन्होंने कहा कि मीन निकायों के नतीजों से शिवराज सरकार का चेहरा बेनकाब हो गया है। राज्य में बाढ़ से लोग परेशान हैं, किसानों को खाद बीज नहीं मिल पा रहा है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं। मुख्यमंत्री चौहान जनता से लगातार 'छल' करते रहे हैं और इस बार जनता ने उन्हें अपना जवाब दे दिया है। तीनों निकायों में चुनाव को लेकर भाजपा पूरी तरह गंभीर थी। यही वजह रही कि प्रचार में मुख्यमंत्री स्वयं, कई मंत्री और पार्टी के अन्य नेताओं ने दिन-रात एक किए, कोई कसर नहीं छोड़ी। दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े नेता इस चुनाव से दूरी ही बनाए रहे, फिर भी जीत हासिल हो गई।एक साथ तीन स्थानों पर मिली हार से भाजपा भी हतप्रभ है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने तो यहां तक कह दिया है कि प्रत्याशी चयन में उनके दल से कोई चूक हो गई। वे आगे कहते हैं कि निकाय चुनाव स्थानीय स्तर पर होते हैं। इसमें उम्मीदवार और स्थानीय मुद्दों का भी बड़ा महत्व होता है। 

राज्य की राजनीति के जानकारों का मानना है कि निकाय चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेताओं का प्रचार के लिए न आना भी लाभदायक रहा, क्योंकि पार्टी में गुटबाजी नहीं पनपी और भाजपा को भी कांग्रेस के कार्यकाल की याद दिलाने का मौका नहीं मिला। पिछले चुनाव इस बात के गवाह हैं। जब भी कांग्रेस के बड़े नेता सक्रिय हुए, इक्का-दुक्का चुनाव को छोड़कर अधिकांश में कांग्रेस के खाते में हार ही आई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कांग्रेस के बड़े नेताओं के आने से कार्यकर्ता गुटों में बंट जाते हैं। इससे उम्मीदवार को फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो जाता है।तीन निकायों के चुनाव में मिली जीत से कांग्रेस को लंबे अरसे बाद जश्न मनाने का मौका मिला है। अब देखना होगा कि इस जीत का उत्साह कांग्रेस कार्यकर्ताओं में कितने दिन रहता है और यह भी कि इन नतीजों से भाजपा कोई सीख लेती है या नहीं। 

 

Tags: Election Special

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD