मन्ना डे नहीं रहे, बेंगलुरू में होगा अंतिम संस्कार
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बेंगलुरू(आईएएनएस) , 24 Oct 2013
भारतीय सिनेमा जगत के महान पाश्र्वगायक मन्ना डे का गुरुवार तड़के शहर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 94 साल के थे और लंबे समय से बीमार थे। नारायणा हृदयालय अस्पताल के एक प्रवक्ता के. एस. वासुकी ने आईएएनएस को बताया, "मन्ना दा को गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में रखा गया था, गुरुवार तड़के उनकी हालत अचानक बिगड़ गई और चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।"भारतीय सिनेजगत के बहुभाषी गायक मन्ना दा चार महीनों से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार में दो बेटियां रमा और सुमिता हैं। वासुकी ने बताया, "डे की बड़ी बेटी रमा को उनकी स्थिति के बारे अवगत करा दिया गया था, वह अपने पिता के निधन के समय उनके साथ अस्पताल में ही थीं।"पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डे की दूसरी बेटी सुमिता अमेरिका में रहती हैं। उनकी पत्नी सुलोचना कुमारन की मौत जनवरी 2012 में कैंसर से हुई थी। मन्ना डे को इसी साल जुलाई महीने में फेफड़ें में संक्रमण की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी सांस की बीमारी का इलाज चल रहा था। डे के एक पारिवारिक मित्र ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को लोगों के अंतिम दर्शनों के लिए शहर में सुबह 10 बजे से 12 बजे अपराह्न् तक रवींद्र कलाक्षेत्र में रखा जाएगा। परिजन उनका अंतिम संस्कार शहर के पश्चिमोत्तर इलाके में स्थित हब्बल शवदाह गृह में गुरुवार शाम तक करना चाहते हैं। इधर, मन्ना डे के गुजर जाने की खबर से उनके हजारों प्रशंसकों, खासकर संगीत जगत और बांग्ला समुदाय को सदमा पहुंचा है। उन्होंने अपने सात दशकों के संगीत करियर में 3,500 से ज्यादा गीत गाए, जिनमें रोमांटिक, शास्त्रीय और दिल बहलाने वाले मनोरंजक गीत शामिल हैं। इसी साल एक मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में उनके अपूर्व योगदान के लिए बंगाल के विशेष महा संगीत सम्मान पुरस्कार से नवाजा था। मन्ना डे का वास्तविक नाम प्रबोध चंद डे था। उन्हें 2007 में फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया था। इसके अलावा पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान भी उनके नाम रहे।