पाकिस्तान की लाहौर जेल में भारतीय कैदी कृपाल सिंह ने 11 अप्रैल को संदिग्ध हालात में दम तोड़ दिया था। उनका शव मंगलवार अपरान्ह भारत लाया गया। कृपाल के घरवालों को आशंका है कि यह प्राकृतिक मौत का मामला नहीं है, बल्कि उनकी हत्या की गई है। परिजनों का कहना है कि कृपाल के शरीर पर चोट के निशान थे, लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों ने इससे इनकार किया है।कृपाल के घरवालों ने कहा कि शरीर पर चोट और खून के निशान थे।
कृपाल का पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल बोर्ड ने घरवालों की बात को गलत बताया है। बोर्ड ने कहा कि कृपाल के शरीर पर आंतरिक या बाह्य, किसी तरह के चोट के निशान नहीं थे।लेकिन, तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड के प्रमुख डॉक्टर अशोक शर्मा ने संवाददाताओं से पोस्टमार्टम के बाद कहा कि मौत की वजह का अभी पता नहीं चल सका है।उन्होंने कहा कि शरीर के कुछ अंग नहीं मिले, क्योंकि एक पोस्टमार्टम पहले ही (पाकिस्तान में) हो चुका है।डॉक्टर शर्मा ने कहा, "पोस्टमार्टम में शरीर पर किसी तरह की बाहरी या अंदरूनी चोट नहीं मिली। शव का पोस्टमार्टम पहले ही (पाकिस्तान में) हो चुका है, शरीर और सिर में टांके लगे थे।"
उन्होंने कहा, "पोस्टमार्टम में हमें कुछ अंग नहीं मिले, क्योंकि जब पोस्टमार्टम किया जाता है तो कुछ अंग निकालकर उनका परीक्षण किया जाता है कि कोई बीमारी तो नहीं थी।" डॉक्टर शर्मा ने कहा, "जो अंग मौजूद थे, हमने उनमें से कुछ को परीक्षण के लिए भेजा है, जिससे यह पता चल सके कि कोई बीमारी तो नहीं थी या फिर जहर तो नहीं दिया गया। मैं सौ फीसदी दावे से कह सकता हूं कि जीवन रहते जिन घावों के निशान बनते हैं, उन्हें मिटाया नहीं जा सकता।
मौत की वजहों के बारे में अभी तक पता नहीं चल सका है।"पाकिस्तानी अधिकारियों ने अटारी-वाघा सीमा पर कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों को कृपाल सिंह का शव सौंप दिया। शव सौंपे जाने के समय कृपाल के परिजन और उनके गांव के निवासी मौके पर मौजूद थे।शव को तुरंत पोस्टमार्टम के लिए अमृतसर ले जाया गया। वहां से अंतिम संस्कार के लिए कृपाल के गुरदासपुर जिला स्थित गांव ले जाया गया।
पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। लेकिन, कृपाल के घरवाले इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि कृपाल की या तो कैदियों ने या जेल अधिकारियों ने हत्या की है।अस्पताल के शवगृह के बाहर कृपाल के एक रिश्तेदार ने संवाददाताओं से कहा, "उन्हें (कृपाल) पाकिस्तानियों ने साजिश के तहत मारा है। वह लाहौर जेल में सरबजीत की हत्या के अकेले गवाह थे। हम चाहते हैं कि मामले की मुकम्मल जांच हो और मौत की वजहों का सच जानने के लिए पोस्टमार्टम कराया जाए।"
घरवालों का कहना है कि कृपाल अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में चले गए थे। उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों ने जासूस कहकर पकड़ लिया।पंजाब सरकार ने कृपाल के घरवालों को वह सभी मदद देने का ऐलान किया है, जो सरबजीत सिंह के घरवालों को दी गई थी। सरबजीत की लाहौर की उसी जेल में अप्रैल 2013 में हत्या की गई थी, जिसमें कृपाल कैद थे।पूर्व सैनिक कृपाल सिह लाहौर की कोट लखपत जेल में 1992 से कैद थे।पाकिस्तान ने उन्हें भारतीय जासूस बताया था और पाकिस्तान में आतंकी हमलों का दोषी बताया था। उन्हें पहले मौत की सजा दी गई थी, जिसे बाद में घटाकर 20 साल कैद कर दिया गया था।