मुंबई में २६/११ हमले के दोषी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही अमेरिका की शिकागो जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई। इस दौरान उसके कबूलनामे व रहस्योद्घाटन से यह स्पष्ट हो गया कि मुम्बई हमले में पाकिस्तान के चरमंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा व कट्टरपंथी नेता हाफिज सईद मुख्य साजिशकर्ता के रूप में रहे हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या लश्कर-ए-तैयबा के साज़िद मीर व हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई के लिए भारत सरकार पाकिस्तान के ऊपर दबाव बना पाएगी? दरअसल, यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि केन्द्र में जबसे नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी है तबसे ही दोनों देश एक-दूसरे के प्रति अपने प्रगाढ़ रिश्ते को प्रदर्शित करने में जुटे हुए हैं। यानी उम्मीद के ठीक विपरीत। खासकर भारत सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी के पाकिस्तान के प्रति बदले स्वाभाव ने तो सबको हैरत में डाल दिया है। क्योंकि यही नरेन्द्र मोदी हैं, जो लोकसभा चुनाव से पहले अपने भाषणों में ना सिर्फ पानी पी-पीकर पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाते थे बल्कि केन्द्र की तत्कालीन यूपीए सरकार को भी इस बात के लिए बार-बार कठघरे में खड़ा किया करते थे कि वह पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने में अक्षम हैं। मोदी की इन्हीं बातों से प्रभावित होकर देश का एक वर्ग भाजपा को खुलकर वोट दिया। नतीजा आज सबके सामने है। अब जब देश की जनता ने उन्हें मौका दे दिया तो वे पाकिस्तान के साथ यारी गांठने में जुट गए हैं। आखिरकार देश की जनता यह समझ नहीं पा रही है कि किन वजहों से तमाम सबूतों व प्रमाणों के बावजूद मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने से डर रही है।
गौरतलब है कि हेडली ने मुंबई की कोर्ट को बताया कि वह नौ बार मुंबई आया था। आठ बार हमले से पहले और एक बार हमले के बाद। वह आठ बार पाकिस्तान से व एक बार यूएई से भारत आया था। उसने खुलासा किया कि वह हाफिज सईद के भाषण से प्रभावित होकर लश्कर में शामिल हुआ। पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में २००२ में हेडली ने हाफिज सईद का भाषण सुना और बहुत प्रभावित हुआ। अब भी वह हाफिज सईद को च्हाफिज सईद साहबज् कहकर पुकारता है। सईद के कहने पर लश्कर का काम किया। कोर्ट में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा करते हुए डेविड हेडली ने बताया कि २००८ में २६/११ को मुंबई में हुए आतंकी हमले से पहले सितंबर और अक्टूबर में भी ऐसी कोशिश की गई थी लेकिन दोनों ही बार नाकामी हाथ लगी। पहली बार सितंबर में समुद्र में पत्थर से टकराने के बाद नाव डूब गई थी, जिसमें सवार लोग तो बच गए लेकिन गोला-बारूद बरबाद हो गया था। दूसरी बार के बारे में उसे ठीक से याद नहीं है। हमले से दो साल पहले २००६ में उसने पासपोर्ट में अपना नाम बदलवा लिया था। उसने अपना नाम दाऊद गिलानी से डेविड हेडली किया ताकि वह भारत में आसानी से प्रवेश कर सके। हेडली ने बताया कि उसने फर्जी डिटेल देकर वीजा हासिल किया। उसने पहले एक साल का वीजा लिया फिर पांच साल का वीजा लिया। बताया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित लंडीकोठाल में आईएसआई ने उसे नशे के कारोबार के आरोप में गिरफ्तार किया। यहीं पर वह आईएसआई के मेजर अली के संपर्क में आया। मेजर अली ने उसे मेजर इकबाल से मिलवाया।
उल्लेखनीय है कि २६/११ के हमले में मेजर इकबाल का नाम आता है। दरअसल, वह ड्रग पैडलर से मिलने गया था क्योंकि वह भारत में हथियार सप्लाई करना चाहता था। उसी समय मेजर अली को यह लगा कि यह उनके काम का आदमी है, जो विदेशी दिखता है। नया पासपोर्ट मिलने पर वह पाकिस्तान जाकर लश्कर के अपने कांटेक्ट साज़िद मीर से मिला। साज़िद ने उसे भारत भेजा। मुम्बई जाकर कोई ऑफिस या बिज़नेस सेट करने कहा ताकि वो ज्यादा वक़्त तक मुम्बई में रह सके। साज़िद ने उसे मुम्बई के वीडियो बनाकर भेजने को कहा। हेडली ने कहा कि उसे एक जनरल आईडिया था कि ये उससे क्यों करवाया जा रहा है। हेडली लश्कर का दिल से समर्थन करता था। हेडली की पूरी पढ़ाई पाक में हुई और १८ की उम्र में वह अमेरिका गया। लश्कर-ए-तैयबा भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। लश्कर ने कई जगहों पर भारतीय सेना के खिलाफ हमले किए हैं। अमेरिकी कोर्ट हेडली को २६/११ आतंकी हमलों की साजिश रचने और आतंकियों को मदद पहुंचाने का दोषी ठहरा चुकी है। कोर्ट ने उसे ३५ साल की सजा दी है। डेविड हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी आतंकी है। उसने पाकिस्तान में रहकर लश्कर के ट्रेनिंग कैंप में कई महीने गुजारे हैं। उसने आतंकी हमले से पहले कई बार रेकी की थी पूरे शहर की।
उसने मुंबई हमले के लिए विस्तार से जानकारियां जुटाकर लश्कर को मुहैया कराई थीं। इसके लिए भारत आकर हमले के ठिकानों की रेकी की। हमले की ठिकानों की तस्वीरें लीं और पाकिस्तान जाकर चर्चा की। २४ जनवरी २०१३ को अमेरिका की संघीय अदालत ने हेडली को इस सिलसिले में दोषी ठहराया। भारत सरकार ने हेडली को भारत लाकर पूछताछ करने के लिए अमेरिका के साथ कई बार कोशिश की। एनआईए ने अमेरिका जाकर भी हेडली से कई बार पूछताछ की। अंत में वह भारत सरकार के लिए सरकारी गवाह बनने को तैयार हो गया। आठ फरवरी को हेडली की अमेरिका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पहली गवाही हुई। इस दौरान उसने मुंबई हमले से संबंधित कई रहस्योद्घाटन किए। बीते वर्ष दिसम्बर में लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई की एक अदालत ने २६/११ के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में सरकारी गवाह बनाया और उसे माफी दे दी। कोर्ट ने साफ किया कि हेडली को २६/११ हमलों में उसका और बाकी सभी आरोपियों का रोल बताना होगा और पूरी साजिश के बारे में जानकारी देनी होगी। उसे बताना होगा कि उसने और उसकी जानकारी के मुताबिक बाकी लोगों ने भारत के खिलाफ क्या-क्या गतिविधियां कीं। ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर (क्राइम) अतुल कुलकर्णी ने कहा कि यह डेवलपमेंट बहुत अहम है। इससे हमलों की साजिश पता चलेगी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख ८ फरवरी रखी थी।
फिलहाल मुंबई हमलों में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका में ३५ साल कैद की सजा काट रहे हेडली ने मुंबई में एक अदालत में अज्ञात स्थान से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कहा कि वह माफी दिए जाने पर गवाही देने को तैयार है। हेडली ने अदालत से कहा कि कोर्ट में मेरे खिलाफ जो आरोप पत्र दाखिल हैं, उसमें वही आरोप हैं, जिसे मैंने अमेरिका में कबूला है। मैंने स्वीकारा है कि मैं इन आरोपों में सहभागी था। नवंबर २०१५ में मुंबई सत्र न्यायालय ने २६/११ मुंबई आतंकवादी हमले के मामले में डेविड हेडली को आरोपी बनाने का फैसला सुनाया था।आठ फरवरी को हुई हेडली की गवाही के दौरान खास बात यह रही कि कोर्ट में अमेरिका से आई एक विशेष टीम भी मौजूद थी। कहा जा रहा है कि यह टीम पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए थी। जज जीए सानप की विशेष कोर्ट में एक बड़ा टीवी स्क्रीन लगाया गया था, जिसके जरिए कोर्ट में हेडली की गवाही देखी- सुनी गई। बहरहाल, हेडली की गवाही के बाद यह स्पष्ट हो गया कि मुम्बई हमले में लश्कर-ए-तैयबा, हाफिज सईद और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की संलिप्तता है। अब देखना है कि भारत सरकार किस अंदाज में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाक सरकार पर दबाव बनाती है?